लखनऊ: चिकित्सकों, अर्थशास्त्रियों, जनस्वास्थ्य समूहों ने जीएसटी कॉउंसिल से कहा तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाइए, आसान पहुंच से दूर कीजिए और राजस्व बढ़ाइए

चिकित्सकों और अर्थशास्त्रियों के साथ जनस्वास्थ्य समूह जीएसटी कॉउंसिल से कह रहे हैं कि सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) सेस बढ़ा दिया जाए ताकि सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व पैदा हो सके।

चिकित्सकों और अर्थशास्त्रियों के साथ जनस्वास्थ्य समूह जीएसटी कॉउंसिल से कह रहे हैं कि सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) सेस बढ़ा दिया जाए ताकि सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व पैदा हो सके। 17 सितंबर को होने वाली जीएसटी कॉउंसिल की बैठक से पहले इन सबों ने कौंसिल से अपील की है कि अतिरिक्त राजस्व के लिए सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन (क्षतिपूर्ति) सेस लगाने के असाधारण उपाय पर विचार किया जाए। तंबाकू से प्राप्त होने वाला यह टैक्स राजस्व महामारी के दौरान संसाधनों की बढ़ी हुई आवश्यकता में अच्छा-खासा योगदान कर सकेगा। इनमें टीकाकरण और स्वास्थ्य संरचना को बेहतर करना शामिल है ताकि संभावित तीसरी लहर की तैयारी की जा सके। इस समूह के मुताबिक आज के चुनौतीपूर्ण समय में तंबाकू पर टैक्स बढ़ाना सबके फायदे की नीति रहेगी। एक तो यह कोविड-19 महामारी से लगे आर्थिक झटके से निपट सकेगा और दूसरे कोविड-19 से होने वाले नुकसान को सीधे कम कर सकेगा।

कोविड-19 की दूसरी लहर का असर-

कोविड-19 की दूसरी लहर देश के लिए एक बड़े झटके की तरह रही है और यह पहली लहर से काफी ज्यादा रही है। पहली लहर के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और महामारी के नकारात्मक आर्थिक झटके से प्रभावित लोगों की क्षतिपूर्ति के लिए भारत सरकार ने पहले ही कई वित्तीय और आर्थिक प्रेरक उपायों की घोषणा की है। सरकारी खजाने की वित्तीय आवश्यकताएं लगातार बढ़ रही हैं और इसके साथ तथ्य है कि टीकाकरण अभियान तथा संभावित तीसरी लहर की तैयारियों के लिए विशाल संसाधनों की आवश्यकता है। कोविड-19 महामारी के कारण केंद्र और राज्य – दोनों सरकारों के लिए जीएसटी राजस्व प्राप्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसका परिणाम यह है कि केंद्र सरकार भिन्न राज्य सरकारों को जीएसटी के तहत गारंटीशुदा कंपनसेशन सेस का बकाया नहीं बांट पाई है।

जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से तंबाकू पर टैक्स में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। ऐसे में सभी तंबाकू उत्पाद पिछले तीन वर्षों के दौरान ज्यादा लोगों की पहुंच में आ गए हैं। कुल टैक्स बोझ (खुदरा मूल्य समेत अंतिम टैक्स के प्रतिशत के रूप में टैक्स) सिगरेट पर सिर्फ करीब 52.7%, बीड़ी के लिए 22% और अन्य तंबाकू उत्पादों के लिए 63.8% है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित टैक्स बोझ के मुकाबले बहुत कम है। सिफारिश तंबाकू उत्पादों के खुदरा मूल्य का कम से कम 75% टैक्स रखने की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कही ये बड़ी बात-

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टैक्स में वृद्धि के जरिए तंबाकू की कीमत बढ़ाना तंबाकू का उपयोग कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। तंबाकू की कीमत इतनी ज्यादा हो कि उस तक पहुंच कम हो जाए तो यह स्थिति लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित करती है, जो उपयोग नहीं करते उन्हें शुरू करने से रोकती है और जारी रखने वाले उपयोगकर्ताओं में इसकी मात्रा या खपत कम होती है।

मैं जीएसटी कौंसिल से अपील करता हूं कि बीड़ी पर दूसरे ‘सिन उत्पादों’ जैसे सिगरेट और बिना धुंए वाले तंबाकू उत्पादों (पान मसाला, खैनी आदि) की तरह क्षतिपूर्ति सेस लगाया जाए और सिगरेट तथा बिना धुंए वाले तंबाकू उत्पादों पर लगने वाले मौजूदा क्षतिपूर्ति सेस को बढ़ाया जाए ताकि कुल टैक्स बोझ उनके खुदरा मूल्य का 75 प्रतिशत हो जाए। – डॉ अरविंद मोहन, डीन अकादमिक, लखनऊ विश्वविद्यालय और प्रोफेसर और प्रमुख, अर्थशास्त्र विभाग

महामारी के इस समय में जीएसटी राजस्व में कंपनी के लिए राज्यों को भरपाई करने के लिए राजस्व जुटाने की तात्कालिक आवश्यकता के रूप में सिगरेट और बिना धुंए वाल तंबाकू उत्पाद (खैनी, पान मसाला आदि) पर मौजूदा कंपनसेशन सेस बढ़ाना तथा बीड़ी पर कंपनसेशन टैक्स लगाना बहुत ही प्रभावी नीति हो सकती है। राजस्व जुटाने और तंबाकू का उपयोग कम करने का यह एक अच्छा तरीका हो सकता है। इससे संबद्ध बीमारियों के साथ-साथ कोविड से जुड़े नुकसान भी कम होंगे।

वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दिया ये बड़ा बयान-

वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना मुखोपाध्याय ने कहा, “कोविड-19 से जो आर्थिक झटका लगा है उससे निकलने के लिए देश को भारी वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी। सभी तंबाकू उत्पादों पर कंपनसेशन सेस बढ़ाना सबके लिए फायदेमंद होगा क्योंकि इससे सरकार के लिए अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही यह लाखों लंबाकू उपयोगकर्ताओं को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा और युवाओं को तंबाकू की लत लगने से पहले ही रोक सकेगा।”

तंबाकू के उपयोग से कोविड-19 संक्रमण, जटिलताएं और मौत के मामले बढ़ने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। उपलब्ध अनुसंधान से संकेत मिलता है कि धूम्रपान करने वालों को गंभीर बीमारी होने और कोविड-19 से मौत का जोखिम बहुत ज्यादा है। कोविड के कारण भारत में गुजरे 17 महीने में चार लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तंबाकू का उपयोग अपने आप में धीमे चलने वाली महामारी है और हर साल 13 लाख भारतीयों की मौत इससे होती है। इसलिए, तंबाकू उत्पादों को युवाओं और समाज के गरीब कमजोर वर्ग से दूर रखना अब यह पहले के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण है।

टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल में गर्दन के कैंसर के प्रमुख सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी के अनुसार – इस बात के अच्छे-खासे सबूत हैं कि तंबाकू गंभीर कोविड संक्रमण और उसके बाद होने वाली जटिलताओं के जोखिम बढ़ा देता है। धूम्रपान से लंग (फेफड़े) का काम बाधित होता है और शरीर का प्रतिरक्षण कम होता है। कोविड के बाद तंबाकू का उपयोग करने वालों के लिए मौत का जोखिम बढ़ गया है। यह उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ देश हित में है कि तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया जाए। इससे ये बहुतों की पहुंच में नहीं रहेंगे और उनके लिए खरीद कर पीना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद कोविड 19 का प्रभाव तथा इसकी जटिलताएं सीमित होंगी।

भारत में तंबाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या (268 मिलियन) दुनिया में दूसरे नंबर पर है और इनमें से 13 लाख हर साल मर जाते हैं। भारत में होने वाले सभी कैंसर में से करीब 27 प्रतिशत तंबाकू के कारण होते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार किसी भी रूप में तंबाकू के सेवन (सिगरेट, बीड़ी, खैनी, पान मसाला) का संबंध कोविड-19 के गंभीर नुकसान से रहा है। तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौत की वार्षिक आर्थिक लागत 2017-18 में 1,77,341 करोड़ रुपए होने का अनुमान रहा है जो भारत के जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर है और यह कोविड के बाद भी जारी रहेगा।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button