इस विधि से करते हैं लोहड़ी की पूजा, ये है सही तरीका

पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद यानी माघ संक्रांति की पहली रात को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक पहले आता है और पंजाब और हरियाणा के लोग इसे बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं।

पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद यानी माघ संक्रांति की पहली रात को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक पहले आता है और पंजाब और हरियाणा के लोग इसे बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। त्योहार पर हर जगह रौनक देखने को मिलती है।

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लोहड़ी की पूजाविधि –
लोहड़ी के दिन पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा की जाती है। एक काले कपड़े पर महादेव का चित्र स्थापित करके उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। उसके बाद उन्हें सिंदूर, बेलपत्र तथा रेबड़ियों का भोग लगाएं। फिर सूखे नारियल अथवा गोला लेकर उसमें कपूर डालकर अग्नि जलाकर उसमें रेबड़ी, मूंगफली या मक्का आदि डाली जाती है। इसके बाद इस अग्नि की कम से कम सात बार परिक्रमा जरुर करें। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार लोहड़ी श्रीकृष्ण व अग्निदेव के पूजन का भी पर्व है।

क्‍यों मनाई जाती है लोहड़ी?
लोहड़ी को लेकर कई मान्‍यताएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव शंकर का तिरस्‍कार किया था। राजा ने अपने दामाद को यज्ञ में शामिल नहीं किया। इसी बात से नाराज होकर सती ने अग्निकुंड में अपने प्राणों की आहुत‍ि दे दी थी। कहते हैं कि तब से ही प्रायश्चित के रूप में लोहड़ी मनाने का चलन शुरू हुआ। इस दिन विवाहित कन्‍याओं को घर आमंत्रित कर यथाशक्ति उनका सम्‍मान किया जाता है। उन्‍हें भोजन कराया जाता है, उपहार दिए जाते हैं और श्रृंगार का सामान भी भेंट स्‍वरूप दिया जाता है।

 

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