Farmer Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया आंदोलन में हुई किसानों की मौत का आंकड़ा, इतने…

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान (Farmer) पिछले करीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.इस किसान आंदोलन के बीच बहुत से किसानों की मौत भी हुई

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान (Farmer) पिछले करीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.इस किसान आंदोलन के बीच बहुत से किसानों की मौत भी हुई .संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन में हुई किसानों की मौत आंकड़ा दिया हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबित नए कृषि काननूों के खिलाफ आंदोलन में कुल 248 किसानों की अब तक मौत हो चुकी है. संयुक्त मोर्चा ने कहा कि ये आंकड़ा 26 नवबंर 2020 से लेकर 20 फरवरी 2021 तक का है. 248 किसानों में पंजाब के 202 किसान (Farmer) हैं जिन्होंने आंदोलन में अपनी जान गंवायी हैं, हरियाणा के 36 , उत्तर प्रदेश के 6 मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तराखण्ड के एक-एक किसान (Farmer) शामिल हैं जिनकी मौत आंदोलन में हुई है. मृतक किसानों में से ज्यादातर मौतें दिल का दौरा पड़ने से ठंड लगने या फांसी लगाने की दुर्घटना के कारण हुई हैं, संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है पंजाब में बीते वर्ष 2020 में 261 किसानों ने आत्महत्या की थी.

इस आंकड़े के अनुसार बीते वर्ष 2020 में औसतन हर हफ्ते 5 किसानों ने आत्महत्या की थी. दिल्ली की सीमाओं पर और पंजाब के कुछ हिस्सों में पिछले तीन महीनों के बीच 26 नवबंर 2020 से 19 फरवरी 2021 तक प्रति हफ्ते 16 किसानों की मौत हुई है. इस वर्ष जनवरी 2021 में शीत लहर के (ठंड) के दौरान आंदोलन में सम्मिलित पंजाब के अकेल 108 सहित कुल 120 किसानों की मौत हुई. इसमें अधिकांश किसान (Farmer) दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे. जबकि कुछ किसानों ने आत्महत्या की, अन्य किसानों की मौत दुर्घटनाओं में हुई.

बता दें कि 19 फरवरी 2021 तक पंजाब के 40 किसानों की मौत हुई है. वहीं इसी अवधि के दौरान अन्य राज्यों के लगभग 10 किसानों की मौत हुई है.

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जगमोहन सिंह ने कहा किसानों को मेडिकल सहायता ठीक समय पर नहीं मिली 

आपको बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि काफी किसानों को मेडिकल सहायता ठीक समय पर नहीं मिल पाई. आगे उन्होंने कहा कि हमारे किसान कठोर परिस्थितियों में ट्रैक्टर ट्रॉलियों में रह रहे हैं. परिस्थितियां अस्वाभाविक भी हैं क्योंकि कोई भी आदमी सड़को पर स्वचछ शौचालय की मांग नहीं कर सकता . जिसके कारण कई किसानों को अलग-अलग बीमारियां हुई. इसके अलावा ठंड में दिल का दौरा मस्तिष्क रक्तस्राव, मधुमेह और निमोनिया के कारण किसानों की मौत हो गई.

 

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