HT को नोटिस देकर महंगे वकील रखने की खबर पर खुद मुहर लगा बैठा भ्रष्टाचार में घिरा इंजीनियर

लखनऊ। करप्शन में फंसने पर मुकदमा लड़ने के लिए देश के सबसे महंगे वकीलों को रखने का हिंदुस्तान टाइम्स ने खुलासा किया तो आरोपी यूपीएसआइडीसी के चीफ इंजीनियर अरुण मिश्रा ने अखबार मालकिन शोभना भरतिया को नोटिस भेज दी। हालांकि इस नोटिस से वह खुद फंस गए। नोटिस में उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि संबंधित वकीलों को उन्होंने ही रखा है। इन वकीलों में सलमान खान को जमानत दिलवाने वाले हरीश साल्वे से लेकर, सोली सोराबजी जैसे नामी वकील शामिल हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अरुण मिश्रा पर 65 से ज्यादा फर्जी बैंक एकाउंट संचालित करने के आरोप में सीबीआई व ईडी की जांच चल रही है। कालाधन को सफेद करने में इस इंजीनियर का नाम सामने आया। यही नहीं दिल्ली के लुटियन्स जोन मे तीन सौ करोड़ का बंगला भी इस इंजीनियर ने अवैध कमाई से खऱीदा। जब आय से अधिक संपत्ति का केस चला तो बचने के लिए अरुण मिश्रा ने देश के सभी महंगे वकीलों की सेवा लेनी शुरू कर दी। जब तनख्वाह ही महीने का एक लाख रुपये पाता है तो वह कैसे इतने महंगे वकीलों को फीस देता होगा। इन वकीलों के बारे में सब जानते हैं कि ये एक एक सुनवाई के दौरान उपस्थित होने के लाखों रुपये लेते हैं।  अरुण मिश्रा के खिलाफ ढेर सारे केस हाई कोर्ट और सु्पीम कोर्ट में चल रहे हैं.

आखिर कहां से वकीलों को पैसा दे रहा अरण शांति भूषण, सोरोबजी, हरीश साल्वे जैसे 25-25 लाख रुपये फीस लेने वाले वकीलों की सेवा लेने पर सवाल खड़ा हो रहा। सवाल यग कि अरुण मिश्रा इन्हें पैसा कहां से देता होगा? क्या अरुण मिश्रा से केंद्रीय एजेंसियों को यह नहीं पूछना चाहिए कि आखिर वह इतने बड़े बड़े वकीलों को प्रत्येक पेशी पर लाखों रुपये कहां से देता है? ज्ञात हो कि 2011 में सीबीआई ने अरुण मिश्रा को दिल्ली के पृथ्वीराज रोड और देहरादून में संपत्तियों को जब्त किया था. पृथ्वीराज रोड वाली लुटियन जोन इलाके की अकेली प्रापर्टी की कीमत करीब 300 करोड़ रुपये से ज्यादा है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि यह इंजीनियर अरुण मिश्रा कहां से अपने टाप लेवल के वकीलों को फीस देता होगा.

अरुण मिश्रा ने क्या भेजी नोटिस अरुण मिश्र ने हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में एक खामी के आधार पर नोटिस जारी की है। इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट में बताया गया कि मुकुल रोहतगी को हमने वकील बनाया है। जबकि वे यूपीएसआइडीसी की ओर से मुकदमा लड़ रहे हैं। हालांकि नोटिस में आगे अरुण मिश्रा ने यह स्वीकार कर लिया है कि वे हरीश साल्वे, सोली सोराबजी जैसे वकीलों की सेवा ले रहे हैं। लेकिन लीगल नोटिस में अरुण मिश्रा का कहना है कि हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट से उनकी छवि धूमिल हुई है। वकील और क्लाइंट के बीच फीस निजी मामला है। इसे बिना सुबूत के उजागर करना गलत है। लिहाजा मानहानि का मामला बनता है।

 

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