इस गांव में सुहागिन स्‍त्री करवाचौथ का व्रत करते ही हो जाती है विधवा

दुनियाभर में कई कई ऐसी भी जगह है जहां कई तरह के श्राप का असर आज भी नजर आता है और उसी की वजह से वहां कई तरह की समस्या नजर आती है दरअसल, आज हम आपको एक ऐसे ही एक गाव के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ कोई सुहाग‍िन स्‍त्री अगर करवाचौथ का व्रत रख ले तो वह विधवा हो जाती है।

दुनियाभर में कई कई ऐसी भी जगह है जहां कई तरह के श्राप का असर आज भी नजर आता है और उसी की वजह से वहां कई तरह की समस्या नजर आती है दरअसल, आज हम आपको एक ऐसे ही एक गाव के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ कोई सुहाग‍िन स्‍त्री अगर करवाचौथ का व्रत रख ले तो वह विधवा हो जाती है।

हम जिस जगह की बात कर रहे हैं वह हरियाण के करनाल के तीन गांव कतलाहेडी, गोंदर और औंगद हैं। इन जगहों पर अरसे से करवा चौथ का पर्व नहीं मनाया गया है। स्‍थानीय लोगों की मान्यता है कि इन जगहों की सुहाग‍िन स्त्रियां अगर करवा चौथ का व्रत कर लें तो उनका सुहाग उजड़ जाता है। कथा म‍िलती है क‍ि ये इस गांव में रहने वाले लोगों के परिवार शाप‍ित हैं और अरसे पहले हुई भूल का आज भी पश्चाताप कर रहे हैं। हालांकि इन गांवों की बेट‍ियों का व‍िवाह अगर क‍िसी दूसरे गांव में हो जाए तो वह करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। तब उनके सुहाग पर क‍िसी तरह का संकट नहीं आता।

कहानी
600 साल पहले राहड़ा की लड़की की शादी गोंदर के एक युवक से हुई थी। मायके में करवा चौथ से पहले की रात उसे सपना आया कि उसके पति की हत्या हो गई है और उसका शव बाजरे की गठरियों में छुपाकर रखा गया है। उसने यह बात मायके वालों को बताई। मायके वाले उसे लेकर करवा चौथ के दिन गोंदर पहुंचे। वहां पति के न मिलने पर उसने लोगों को सपने वाली बात बताई। उसके बताए जगह पर लोगों ने देखा कि उसके पति का शव पड़ा है।

कहा जाता है उस स्‍त्री ने उस दिन करवा चौथ का व्रत रख रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को अपना करवा देना चाहा तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। इससे परेशान होकर वह करवा सहित जमीन में समा गई और उसने श्राप दे दिया कि यदि भविष्य में इस गांव की किसी भी बहू ने करवा चौथ का व्रत किया तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा। स्‍थानीय लोगों के अनुसार तकरीबन दो सौ साल पहले ब्राह्माणी के द‍िए हुये शाप की घटना के चलते यहां की महिलाएं शादी के पहले एक साल तक सुहाग का प्रतीक बिंदी-‌सिंदूर नहीं लगातीं। साथ ही शाप के चलते ही यहां करवा चौथ का व्रत भी नहीं मनाया जाता है।

 

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