झाँसी – चौरी चौरा समारोह: बलिदानियों के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान में झुके सिर

जनपद में चौरा- चौरी शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी द्वारा दीप प्रज्वलन करते हुए किया गया।

जनपद में चौरा- चौरी शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी द्वारा दीप प्रज्वलन करते हुए किया गया। 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी का मंडलायुक्त, जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने श्रीफल,पुष्पगुछ और शॉल उड़ाकर सम्मान किया व स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।

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शताब्दी समारोह का शुभारंभ स्कूली छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। कार्यक्रम में अंकुर जैन बुंदेली लोक नृत्य राई ग्रुप ने चौरा चौरी कांड से ओतप्रोत नृत्य नाटिका व गीत प्रस्तुत किए। चौरी चौरा शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्चुअल संवाद स्थापित किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा ₹5 का डाक टिकट जारी किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि शहीद के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा। 100 साल बाद एक बार फिर शहीदों की मजारों पर मेला का आयोजन किया गया। दुनिया ने एक बार फिर चौरी चौरा के शहीदों के बलिदानी को याद किया।
वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वर्चुअल माध्यम से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज से प्रदेश के सभी शहीद स्मारकों व स्थलों पर 1857 से 1947 के बीच स्वाधीनता के बाद भी विभिन्न युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा में शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अगले 1 वर्ष तक इसका आयोजन किया जाएगा।

प्रदेश के प्रत्येक शहीद स्मारक पर पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्रभक्त के गीतों व दीपोत्सव करने का निर्णय लिया गया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम सभी इस आयोजन के माध्यम से स्वदेशी स्वालंबन व स्वच्छता की ओर अग्रसर हो सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि चौरी चौरा में देश की स्वाधीनता के लिए अमूल्य संघर्ष प्रारंभ हुआ था। जिसमें पुलिस और स्थानीय जनता के बीच संघर्ष में 3 स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए थे। इसके उपरांत 228 सेनानियों पर ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाया था। इसमें 19 लोगों को मृत्युदंड ,14 को आजीवन कारावास दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस शताब्दी महोत्सव का जो “लोगो” जारी किया गया है वह “स्वरक्ते स्वराष्ट्र रक्षते” अर्थात हम अपने रक्त से अपने राष्ट्र की रक्षा करते हैं यानी “तेरा वैभव अमर रहे मां ,हम रहे ना रहे का भाव लिए हुए हैं।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक सदर रवि शर्मा ने कहा कि चौरी चौरा शताब्दी समारोह पूरे वर्ष मनाया जाना है। इसकी चर्चा पूरे वर्ष होगी। हमारा दायित्व है कि हम बच्चों को स्वतंत्र संग्राम का इतिहास नए सिरे से बताएं। उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जिन्हें इतिहास में मिलना मिलना चाहिए था वह नहीं मिलती। जब पंडित नेहरू जी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया तब से ऐसी घटनाओं को समाज व पाठ्यक्रम से अलग कर दिया। एक विशेष परिवार के चाटुकार इतिहासकारों ने स्वतंत्र संग्राम सेनानियों को विस्मृत करने का काम किया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी ने यह तय किया कि ऐसे लोग जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में आजीवन भाग लिया है उन्हें याद किया जाए और नई पीढ़ी को बताया जाए कि हमें आजादी इन्होंने ही दिलाई है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मंडलायुक्त सुभाष चंद शर्मा ने कहा कि महोत्सव हमारे लिए भारत माता के उन सभी बलिदानों के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करने का एक महोत्सव है। उन्होंने कहा कि चौरी चौरा घटना को 99 साल हो गए हैं। हमें साल भर इस चौरी चोरा को याद करना होगा। हमारे लिए चुनौती है कि हम अपने इतिहास को नए तरीके से देखें उन्होंने कहा कि 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी चौरा नामक स्थान पर एक ऐतिहासिक घटना हुई थी।

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इसमें ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को एक नई दिशा मिली लोगों में असहयोग का उबाल आया और इस विदेशी आता ताई को सहन नहीं करेंगे का संकल्प लिया। चौरी चौरा गांव में जिन्होंने गोली चलाई वह हमारे ही लोग थे सेना में शामिल थे परंतु सभी रोते हुए गोली चला रहे थे। उन्होंने उपस्थित बच्चों को 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यदेव तिवारी के जीवन से परिचय कराया और आपके घर के साथ मेजर ध्यानचंद जी के घर को भी देखने का सुझाव दिया । उन्होंने कहा कि ऐसे पुण्य स्थल को अवश्य देखना चाहिए। उपस्थित छात्राओं को उन्होंने कहा कि अपना वर्तमान अवश्य जिए लेकिन अपने भविष्य पर भी नजर रखें ताकि जब आपको इतिहास सौंपा जाए तो उसे आप संभाल सके।

जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने चौरी चौरा शताब्दी समारोह के प्रारंभ पर सभी को शुभकामनाएं दी और बताया कि प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजी हुकूमत ने एक कानून लागू किया। जिसमें किसी को भी कारागार भेजा जा सकता था। इसके लागू होने के बाद ही लोगों में असहयोग की आवाज बुलंद हुई। उन्होंने बताया कि गोरखपुर शहर से 26.3 किलोमीटर पूर्व में स्थित ऐतिहासिक स्थल चौरी चौरा 4 फरवरी 1922 को हुए जन आंदोलन के लिए याद किया जाता है। इस जन आंदोलन में जहां पुलिस वालों की गोली का शिकार हुई है क्रांतिकारियों को अपनी जान गवानी पड़ी तो वही भीड़ के गुस्से का शिकार हुए 21 पुलिस वालों को थाने में जिंदा जला दिया गया था। इस जन आंदोलन में 19 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई थी।

चौरी चौरा शताब्दी समारोह के शुभारंभ से पूर्व शहर के विभिन्न स्कूली छात्र- छात्राओं सहित स्काउट स्काउट गाइड एनसीसी और एनएसएस के विद्यार्थी शामिल थे उन्होंने ने चार स्थानों पर प्रभात फेरी का आयोजन किया और रैली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर रहे के उद्घोष के साथ शहीद स्मारक पर रैली का समापन किया गया।पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित चौरी चौरा शताब्दी समारोह में श्री राम तीर्थ सिंघल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी शैलेश कुमार नगर आयुक्त अवनीश कुमार राय उपाध्यक्ष झांसी विकास प्राधिकरण सर्वेश कुमार दीक्षित अपर जिलाधिकारी न्याय संजय पांडे नगर मजिस्ट्रेट सलिल पटेल सहित जिला अध्यक्ष भाजपा जमुना प्रसाद कुशवाहा व अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजन बड़ी संख्या में छात्राएं व अभिभावक, शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- मदन यादव

 

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