किसान आंदोलन: बागपत महापंचायत में हुंकार भरेंगे RLD उपाध्यक्ष जयंत चौधरी

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) आज (रविवार) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बागपत (Baghpat) जिले में किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) का आयोजन कर रहा है।

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) आज (रविवार) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बागपत (Baghpat) जिले में किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) का आयोजन कर रहा है। इस किसान महापंचायत में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी शामिल होंगे और किसानों को संबोधित करेंगे। ढिकोली गांव के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज में होनी वाली किसान महापंचायत की पूरी तैयारियां कर ली गयी हैं, जिसे सफल बनाने के लिए रालोद नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है।

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रालोद के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर नुक्कड़ सभाएं कर किसानों से महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में पहुंचने की अपील की। वहीं, आज सुबह से ही किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए लोग गांव में पहुंचने लगे हैं। सड़कों पर काफी भीड़ दिखाई दे रही है।

वहीं, इस महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) को सफल बनाने के लिए पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष यशवीर सिंह, जिलाध्यक्ष डॉ. जगपाल सिंह, ब्लॉक प्रमुख सुभाष गुर्जर, पूर्व विधायक डॉ. अजय तोमर, राष्ट्रीय सचिव सुखवीर गठीना, कपिल गुर्जर, संगठन मंत्री डॉ. राजकुमार सांगवान, आस मोहम्मद, नीरज शर्मा, सुरेश मलिक, अश्वनी तोमर आदि ने तैयारियों का जायजा लिया और कई गांवों का दौरा भी किया।

प्रियंका गांधी का सरकार पर हमला…

वहीं, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर ट्वीट करके सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट में दो मिनट बत्तीस सेकण्ड का एक विडियो पोस्ट किया है। इसके साथ उन्होंने ट्वीट में लिखा कि किसानों के संघर्ष को 100 दिन हो गये हैं, किसानों की हक की लड़ाई के, देश के अन्नदाता के सम्मान के, गांधी जी के सरदार पटेल, नेहरू जी, शास्त्री जी, शहीद भगत सिंह के दिखाए हुए रास्ते के।

उन्होंने आगे लिखा है कि भाजपा सरकार के अहंकार के 100 दिन, किसान पर प्रहार के, सरकार के झूठ और किसानों के तिरस्कार के।

बता दें कि केंद्र सरकार यह साफ कर चुकी है कि वो कृषि कानूनों में संसोधन के लिए तैयार है, लेकिन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल में ही कहा था कि सरकार किसान से बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाया गया है। तीनों कृषि कानून देश के किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाए गए हैं।

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आपको बता दें कि किसान संगठनों और सरकार के साथ आखिरी बातचीच 22 जनवरी को हुई थी, पिछले करीब 45 दिनों से किसान संगठन और सरकार के बातचीत ठप्प है।

दिल्ली की कई सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें से गाजीपुर बॉर्डर की कमान भाकियू नेता राकेश टिकैत ने संभाल रखी है। भाकियू नेता कहा कि किसान के लिए इस तरह के कानून आ रहे हैं कि अब किसान का खुला दूध नहीं बिकेगा, पहले कंपनी बेचो, फिर वो पैकेट में बेचेगी। किसान का दूध गांव से 20-30 रुपये किलो जाएगा, लेकिन जनता को 80-90 रुपये प्रतिकिलो मिलेगा।

आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 100 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर अडे़ हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार कृषि कानूनों की वापसी के लिए तैयार नहीं है।

 

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