जानिए, आखिर क्यों राम नहीं सिर्फ लक्ष्मण कर सकते थे मेघनाद का वध?

रामायण से जुड़ी तमाम ऐसी कहानियां हैं जिसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. तुलसी दास की लिखी रामचरितमानस और बाल्मीकि की रामायण में कई ऐसी बातें है जो समान नहीं हैं.

रामायण से जुड़ी तमाम ऐसी कहानियां हैं जिसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. तुलसी दास की लिखी रामचरितमानस और बाल्मीकि की रामायण में कई ऐसी बातें है जो समान नहीं हैं. ठीक उसी तरह से रावण के सबसे बड़े पुत्र मेघनाद (Meghnad) के बारे में भी कई तरह की कहानियां सुनी और सुनाई जाती हैं. तो आइये हम आपको मेघनाद से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आपको पता न हो…

दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि, रावण के पुत्र मेघनाद का वध स्वयं भगवान राम नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे ब्रह्मा जी से वरदान मिला हुआ था. मेघनाद (Meghnad) को मिले इस वरदान की वजह से उसे सिर्फ लक्ष्मण ही मार सकते थे.

कहा जाता है कि, जब मेघनाद (Meghnad) ने देवलोक पर विजय हासिल की और इंद्रदेव को बंधक बना लिया तो ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव को छोड़ने के लिए मेघनाद से कहा. जिसके बाद मेघनाद ने इंद्र को छोड़ दिया. इसी से खुश होकर ब्रह्मा जी ने मेघनाद को वरदान दिया कि, तुम्हारी मृत्यु उस व्यक्ति के हाथों होगी जिसने 14 साल तक बिना खाए-सोए और वनवास में रहा हो वही मेघनाद का वध कर सकता है.

इस वरदान में कही गई बातें सिर्फ लक्ष्मण ही पूरी करते थे क्योंकि जब भगवान राम14 वर्षों के लिए वनवास गए थे तो लक्ष्मण जी बिना कुछ खाए और सोए भाई राम और भाभी सीता की रक्षा करते रहे थे. इस दौरान उन्होंने सीता जी के चेहरे की तरफ भी कभी नहीं देखा था. इसलिए वरदान की सारी शर्तों को वो पूरा करने वाले व्यक्ति थे.

जब ये सारी बातें भगवान राम को पता चली तो उन्होंने लक्ष्मण से पूछा कि, आपने ये सब कैसे किया? तो लक्ष्मण ने कहा कि, जब आप रात को सोते थे तो हम जागकर पहरेदारी करते थे. इसके साथ ही एक बार निद्रा देवी आ गईं जिसको उन्होंने अपने बाणों से पराजित कर दिया जिससे उन्होंने कहा था कि, 14 सालों तक वो उनके पास नहीं आएंगी. लेकिन जब आपका राज्याभिषेक होगा तो उसे मैं नहीं देख पाऊंगा.

 

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