झाँसी : जल सहेली के काम का संदेश पूरे देश में जाना चाहिए – कमिश्नर

राजकीय संग्रहालय झांसी में परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा जल सहेली सम्मेलन का आयोजन किया गया।

राजकीय संग्रहालय झांसी में परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा जल सहेली (Saheli) सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि मण्डलायुक्त, झांसी सुभाष चन्द्र शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जल सहेलियों के कार्यो के बारे में जानकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जल सहेलियों के कार्य की पहचान पूरे देश में होनी चाहिए।

बुन्देलखण्ड में एक से बढकर एक जल सहेली (Saheli) है। मण्डलायुक्त ने जल संरक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि आज बरसात के पानी को भूर्गभ में पहुचाना बहुत आवश्यक हो गया है। इसके लिए पानी को जगह-जगह पर रोकना बहुत जरूरी है। हर घर मेें रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बनाकर जल को बचाया जा सकता है। उन्होंने राजस्थान में किये गये जल संरक्षण के बारे में उदाहरण देते हुए कहा कि पहले राजस्थान में अत्यधिक मृदा का क्षरण था।

इसकों रोकने के लिए वहां के समुदाय के साथ मिलकर घास के मैदानों का निर्माण किया गया। जिससे लोगो की आजीविका के संसाधन उपलब्ध हुये साथ ही मृदा क्षरण रूक सका। बुन्देलखण्ड में जल संरक्षण के लिए छोटे-छोटे गढढे जल ग्रहण क्षेत्र के ऊपर एवं जहां पानी एकत्र हो रहा है वहां बडे बांधों का निर्माण किया जाये। उन्होंने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में जल सहेलियों अपनी भागीदारी के लिए आवाहन किया। उन्होंने कहा कि आप अभी इतना अच्छा काम कर रही है, अगर आप प्रधान, सदस्य बन जाये तो आपके गांव में जल संरक्षण के कार्य गुणवत्तापरक ढंग से होगे, बुन्देलखण्ड को अदरक के हब के रूप में विकसित किया जायेगा।

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कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि उपायुक्त मनरेगा, झांसी रामअवतार सिंह ने नदी पुनर्जीवन के लिए किये जा रहे कार्यो के बारे में बताते हुए कहा कि बबीना विकासखण्ड में कनेरा नदी पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें मनरेगा के अन्तर्गत 09 किलोमीटर में सिल्ट सफाई, 8 चैकडैम का रिपेयरिग एवं 2 नये चैकडेमों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने सरकार एवं मनरेगा के द्वारा संचालित की जा योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि राशन और पेंशन जैसी सुविधाओं के लिए जनसेवा केन्द्र में ऑनलाइन कराये। पोर्टल में पहुचने के बाद अधिकारियों की मजबूरी हो जाती है कि वह लोगों को सुविधाऐं उपलब्ध कराये। जल सहेलियों की सीख से लोगों को सीखकर और आगे जल संरक्षण के कार्य को आगे बढाया जा सकता है। उन्होंने श्रम पंजीयन कराये जाने पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे परिवारों को 17 योजनाओं का लाभ स्वतः मिल जाता है।

जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि जल सहेलियों (Saheli) ने गांव को पानीदार बनाया है तथा पानी को लेकर कार्ययोजना बनायी गई है। गांव में पानी स्वच्छता से लेकर सामाजिक सुरक्षा के मुददों पर कार्य किया है। पर्दा प्रथा से निकलकर तमाम चीजों की परवाह ना करते हुए काम किया है। जो मुहिम जल सहेलियों ने छेडा है, वह दिन दूर नहीं जब बुन्देलखण्ड के हर गांव में जल सहेली होगी।

बबीना विकासखण्ड के सिमरावारी गांव से आयी जल सहेली (Saheli) मीरा ने अपने कामों के बारे में बताते हुए कहा कि उनके द्वारा गांव स्तर पर लगातार जल संरक्षण किया गया है एवं पंचायत में जल संरक्षण कार्य के लिए प्रस्ताव दिये गये है। ग्राम खजुराहा बुजुर्ग की मीरा ने बताया कि जल सहेली बनने से पहले मैने कुआं और मायका ही देखा था, अब जल संरक्षण और पेयजल उपलब्धता के लिए प्रयास कर रही हूं।

सोनिया पाण्डे ने कहा कि जल सहेलियों के द्वारा किये जा रहे प्रयास बेहतरीन है, आगे की पीढी उन्हें एक जल संरक्षण के योद्धा के रूप में जानेगी।

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बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की ललित कला संकाय की सहायक प्राचार्य श्वेता पाण्डे ने कहा कि संघर्ष से ही महिलाओं को पहिचान मिलती है। जल सहेलियों (Saheli) के कार्य से बुन्देलखण्ड की पहचान हो रही है।

अंत में जल सहेलियों (Saheli) के द्वारा निर्णय लिया गया कि पंचायत चुनाव में वह वोट खरीदने वालों का बहिष्कार करेगी। सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत, तालबेहट से आयी जल सहेली श्रीकुंवर ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन परमार्थ समाज सेवी संस्थान की शिवानी सिंह एवं आभार व्यक्त सिद्धगोपाल ने किया। इस कार्यक्रम में सतीश चन्द्र, संध्या शर्मा, सत्यम, सोनिया पस्तोर, महताब, अमरदीप बमोनिया सहित जनपद झांसी, ललितपुर की 120 जल सहेलिया उपस्थित रही।

रिपोर्ट-मदन यादव

 

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