MLC के लिए सरकार तलाशेगी नए नाम

naik2तहलका एक्सप्रेस

लखनऊ। गवर्नर रामनाईक की सीएम अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद सरकार अब एमएलसी के लिए नए नाम तलाशेगी। पांच नामों पर मंजूरी पिछले छह महीने से अटकी हुई है। राजभवन ने इसे मंजूरी देने से फिर मना कर दिया है। राजभवन ने सूची के पांच नामों डॉ. कमलेश कुमार पाठक, संजय सेठ, रणविजय सिंह, अब्दुल सरफराज खान और डॉ. राजपाल कश्यप को अब तक मंजूरी नहीं दी है। बुधवार को सीएम अखिलेश यादव गवर्नर से दशहरे की बधाई के साथ ही इन मसलों पर भी मिले थे।

सूत्रों का कहना है कि गवर्नर की आपत्ति खास तौर पर दो नामों पर है। इनमें एक नाम बिल्डर संजय सेठ और दूसरा कमलेश पाठक का है। मुलायम के करीबी माने जाने वाले संजय सेठ के खिलाफ गंभीर शिकायतें हुई हैं। जून में पड़ी इनकम टैक्स रेड के बाद राजभवन का रुख उनके नाम पर और सख्त हो चुका है। सूत्रों की मानें तो मुलायम के परिवार में भी उनके नाम को लेकर एकमत स्थिति नहीं है।

वहीं कमलेश पाठक के ऊपर दर्जन भर से ज्यादा आपराधिक मुकदमे होने की शिकायतें हैं। इन दोनों नामों पर ही राजभवन को सबसे ज्यादा ऐतराज है। ऐसे में कम से कम दो नए नाम तलाशने की कवायद शुरू कर दी गई है। सूत्रों की मानें तो इनकी जगह नए नाम से सरकार की राह थोड़ी आसान हो सकती है। संभावनाओं को देखते हुए दावेदारों ने पैरोकारी भी शुरू कर दी है।

मई में भेजे थे नाम

विधान परिषद में नामित किए जाने वाली सीटों के लिए नौ नाम सरकार ने गवर्नर को मई में भेजे थे। जून के आखिर में गवर्नर ने परीक्षण के बाद चार नामों पर मंजूरी दी थी। इसमें एसआरएस यादव, लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष यादव और जितेंद्र यादव के नाम पर मंजूरी दे दी थी। वहीं संजय सेठ, सरफराज खां, राजपाल कश्यप, कमलेश पाठक और रणविजय सिंह की बारे में सरकार ने जानकारी मांग ली थी। राजभवन की आपत्ति थी कि वह पद के लिए निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करते।

राष्ट्रपति तक पहुंची बात

गवर्नर एमएलसी मनोनयन सहित दूसरे मसलों पर राष्ट्रपति को भी अपने निर्णयों से ब्रीफ कर चुके हैं। पिछले महीने प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के दौरान नाईक ने उन्हें बताया था कि एमएलसी के रुके नामों के पीछे उनकी क्या आपत्तियां हैं। इससे पहले यह चर्चा जोरों पर थी कि एमएलसी के नामों पर गवर्नर के रुख को देखते हुए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पीएम नरेंद्र मोदी से मिले थे। उन्होंने गवर्नर की शिकायत की थी कि वह सरकार के फैसलों को बेवजह रोक रहे हैं।

 

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