MP में किसान आंदोलन: महिलाओं-बच्चों ने हाथ जोड़े तब उपद्रवियों ने उतरने दिया और बसें जला दीं

मंदसौर। ​मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के तहत हो रही हिंसा नहीं थम रही। गुरुवार को सरकार ने मंदसौर के कलेक्टर और एसपी का तबादला कर दिया। मंदसौर में एक दिन पहले फायरिंग में छह किसानों की मौत हुई थी। इसके बाद गुस्साए किसानों ने बुधवार को जिले के बरखेड़ा पंत में कलेक्टर को सिर पर थप्पड़ मार दिया। उनके कपड़े भी फट गए। मामला यही नहीं थमा। फायरिंग में मारे गए एक शख्स के अंतिम संस्कार के बाद भीड़ पुलिस की ओर दौड़ी। पुलिस के कई जवान जान बचाने के लिए भागकर पिपलिया मंडी थाने लौट गए। वहीं, देवास के सोनकच्छ में आंदोलनकारियों ने चार्टर्ड बस में आग लगा दी। महिलाओं-बच्चों ने हाथ जोड़े तब उपद्रवियों ने उन्हें उतरने दिया। पैसेंजर्स ने खेतों और मंदिरों में छिपकर जान बचाई। भोपाल-इंदौर हाईवे और देवास जिले को मिलाकर 13 बसों समेत 150 गाड़ियों में आग लगा दी गई। बता दें कि प्रदेश में 19 साल बाद किसान आंदोलन में ऐसी हिंसा हुई है। इससे पहले, 1998 में मुलताई में 18 लोगों की मौत हुई थी।
आंदोलन महाराष्ट्र से शुरू हुआ था
कर्ज माफी और दूध के दाम बढ़ाने जैसे मुद्दे पर आंदोलन महाराष्ट्र में 1 जून से शुरू हुआ था। वहां अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है।  मध्य प्रदेश के किसानों ने भी कर्ज माफी, मिनिमम सपोर्ट प्राइस, जमीन के बदले मिलने वाले मुआवजे और दूध के रेट को लेकर आंदोलन शुरू किया। शनिवार को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया। अब मंदसौर और राज्य के बाकी हिस्सों में भी तनाव है।
मंदसौर में तनाव क्यों है?
मंदसौर और पिपलियामंडी के बीच बही पार्श्वनाथ फोरलेन पर मंगलवार सुबह 11.30 बजे एक हजार से ज्यादा किसान सड़कों पर उतर आए। पहले चक्का जाम करने की कोशिश की। पुलिस ने सख्ती दिखाई तो पथराव शुरू कर दिया। पुलिस किसानों के बीच घिर गई। किसानों का आरोप है कि सीआरपीएफ और पुलिस ने बिना वॉर्निंग दिए फायरिंग शुरू कर दी। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई।
एसपी-कलेक्टर पर कहां हमला हुआ?
मंदसौर जिले के बरखेड़ा पंत में फायरिंग में मारे गए स्टूडेंट अभिषेक का शव रोड पर रखकर किसान चक्का जाम कर रहे थे। इनकी मांग थी कि सीएम शिवराज सिंह यहां आएं और फायरिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का वादा करें। एसपी ओपी त्रिपाठी और कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह इसी मामले को सुलझाने के लिए बरखेड़ा पंत पहुंचे थे। तभी एक किसान ने कलेक्टर को पीछे से सिर पर चांटा मारा। लोगों ने उनके साथ बदतमीजी की। उनके कपड़े फाड़ दिए। हालांकि, बाद में अभिषेक के परिजन अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हो गए। कलेक्टर ने अभिषेक के परिजनों को उसका स्मारक बनाने का आश्वासन दिया।
बच्चे बिलखते रहे, लेकिन उपद्रवी बस में तोड़फोड़ करते रहे
भोपाल से इंदाैर जा रही चार्टर्ड बस को उपद्रवियों ने सोनकच्छ में रोककर उसमें आग लगा दी। पैसेंजर्स ने भागकर जान बचाई। इससे पहले आंदोलनकारियों ने बस के शीशे तोड़ दिए गए। जब तोड़फोड़ की जा रही थी, तब बच्चे और महिलाएं बस के अंदर थीं। अंदर बच्चे बिलखते रहे, लेकिन उपद्रवी उसमें तोड़फोड़ करते रहे। यही नहीं, इंदौर से भोपाल के बीच हाईवे पर करीब 30 गाड़ियां में आग लगा दी गई। कई टोल बूथ पर तोड़फाेड़ की गई। हिंसा के बाद कई ट्रेवल कंपनियों ने इंदौर-भोपाल के बीच बस सर्विस बंद कर दी। देवास के पास गाड़ियों में लगी आग बुझाने पहुंची फायर बिग्रेड की गाड़ी को भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। देवास के पास नेवरी फाटा पर तीन वॉल्वो बसें जलाई गईं। थर-थर कांप रही महिलाओं और बच्चों ने हाथ जोड़े तब उपद्रवियों ने उतरने दिया आैर बसों में आग लगा दी। देवास में किसानों ने दो ट्रेनों को स्टेशन पर रोक लिया। करीब आधे घंटे तक समझाने के बाद इन्होंने ट्रेन को जाने दिया। इस प्रदर्शन का नीमच-रतलाम रेल ट्रैफिक पर असर पड़ा है। कुछ ट्रेन को इन स्टेशन पर ही रोक दिया है।
कहां-कहां लगा है कर्फ्यू?
मंदसौर, पिपलिया मंडी, नारायणगढ़ और मल्हारगढ़ में कर्फ्यू लगा रहा। वहीं, दलोदा और सुमात्रा में भी धारा 144 लगा गई। मंदसौर में सभी मोबाइल सर्विसेस सस्पेंड कर दी गईं। इंदौर में मंगलवार को शांति रही, लेकिन बुधवार को पड़ोसी जिले देवास के हाट पिपलिया में आंदोलनकारियों ने थाने के अंदर खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी।
कांग्रेस ने रखा था बंद, आने वाले थे राहुल गांधी
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि बुधवार को मध्य प्रदेश में बंद रहेगा। लोग इसमें मदद करें। बंद का असर सबसे ज्यादा इंदौर, धार और मंदसौर जिले में दिखा। इंदौर जिले में राऊ, सांवेर, मांगलिया, देवगुराड़िया इलाकों में बंद का ज्यादा असर दिखा। उज्जैन में भी ज्यादातर मार्केट बंद रहे। जो खुले थे, उन्हें कांग्रेस वर्कर्स ने बंद करवा दिए। धार में भी बंद का असर दिखा। बाजार पूरी तरह बंद रहे। उधर, सीहोर में कल किसानों के प्रदर्शन के बाद बंद का मिला-जुला असर रहा। आष्टा में दुकानें बंद रहीं, जबकि इछावर में कम असर रहा। राहुल गांधी के मंदसौर पहुंचने की खबर थी। लेकिन बुधवार को वे नहीं आए। वे एक-दो दिन में मंदसौर आ सकते हैं।
एकजुट होने की कोशिश में विपक्ष, मांगा शिवराज का इस्तीफा
विपक्षी दल शिवराज सिंह चौहान की सरकार को घेरने की कोशिश में हैं। जेडीयू नेता शरद यादव ने बुधवार को राहुल गांधी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हम एक साथ मंदसौर जाने की योजना बना रहे हैं। हमने इस तरह का आंदोलन पहले नहीं देखा। मध्य प्रदेश सरकार 6 मौतों का आंकड़ा दे रही है, लेकिन हमें लगता है कि मौतें ज्यादा हुई हैं। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। वे अपनी जिम्मेदारी किसी पुलिस अफसर पर नहीं मढ़ सकते। मंदसौर में लाशों पर बोलियां लगाई जा रही हैं। 5 लाख, 10 लाख, 1 करोड़ (मुआवजे) की बात की जा रही है। ये शर्मनाक है।
बड़ा सवाल : किसने चलाई गोली?
एमपी के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह का एक बयान मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें वे यह कहते सुनाई दिए कि पुलिस ने किसानों पर फायरिंग की। ‘भास्कर’ ने जब ऑडियो टेप के बारे में सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि सब कुछ ज्यूडिशियल इन्क्वायरी से सामने आ जाएगा। उधर, मंदसौर के कलेक्टर ने घटना के बाद कहा था कि हमने गोली चलाने के आदेश नहीं दिए।
शिवराज ने क्या कहा?
सीएम ने बुधवार को मीडिया में विज्ञापन जारी कर किसानों से अपील की। उन्होंने कहा- दो दिन में किसानों से जो चर्चा हुई, उसके मुताबिक मांगें मंजूर कर ली गई हैं। कुछ असामाजिक तत्व अपने स्वार्थ के कारण प्रदेश में अशांति फैलाना चाहते हैं। आप उनसे सावधान रहें। बहकावे में ना आएं। अभी भी कोई समस्या है तो हम आपस में मिल-बैठकर, चर्चाकर उसका समाधान निकाल लेंगे।
किसानों की सरकार से क्या मांगें हैं?
किसान जमीन के बदले मुआवजे के लिए कोर्ट जाने का अधिकार देने, फसल पर आए खर्च का डेढ़ गुना दाम देने, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, कर्ज माफ करने और दूध खरीदी के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। सीएम चौहान ने दो दिन की चर्चा के बाद किसानों पर केस खत्म करने, जमीन मामले में किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने, फसल बीमा को ऑप्शनल बनाने, मंडी में किसानों को 50% कैश पेमेंट और 50% आरटीजीएस से देने का एलान किया था। यह भी कहा था कि सरकार किसानों से इस साल 8 रु. किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी।
घाटे में सरकार
मध्य प्रदेश सरकार किसानों से आठ रुपए प्रति किलो प्याज खरीद कर उसे खुले बाजार में दो रुपए प्रति किलो बेचेगी। यह कम से कम 10 किलो के बैग में मिलेगा। प्याज की पैदावार करने वाले जिलों में सरकार की एजेंसी मार्कफेड ने खरीदी शुरू कर दी है। साफ है कि इस बार फिर सरकार को प्याज की खरीदी में बड़ा नुकसान होगा। स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट मिलाकर सरकार को प्याज 14 रुपए प्रति किलो की पड़ेगी। पिछली बार भी प्याज से सरकार को 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
मध्य प्रदेश में 19 साल बाद इस तरह का आंदोलन
इससे पहले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।
 

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