गोवर्धन पूजा वाले दिन जरूर खाएं कढ़ी-चावल, ये है वजह

गोवर्धन पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। प्रायः दीपावली पूजन के अगले दिन ही गोवर्धन पूजन का त्योहार पड़ता है।

गोवर्धन पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। प्रायः दीपावली पूजन के अगले दिन ही गोवर्धन पूजन का त्योहार पड़ता है। यह पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनायी जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है।

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इस दिन कढ़ी-चावल खाने का महत्व-

गोवर्धन पूजा पर कढ़ी-चावल खाने के महत्व के दो अलग महत्व हैं। एक धार्मिक महत्व है और दूसरा सेहत के लिए लाभ से जुड़ा महत्व। धार्मिक महत्व तो यह है कि गोवर्धन पूजा उस दिन की जाती है, जिस दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इस दौरान कान्हा ने मानव जीवन को सुखद बनाए रखने के लिए गौवंश और प्रकृति के महत्व के बारे में भी बताया था। इसलिए गाय के दूध की छाछ से बनी कढ़ी और धान से उत्पन्न चावल से इस दिन कान्हा के साथ ही गायों का भी पूजन किया जाता है। और फिर स्वास्थ्य की कामना करते हुए कढ़ी-चावल का सेवन किया जाता है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक-

गोवर्धन पूजा का पर्व दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। तो स्वास्थ्य विज्ञान में इस दिन कढ़ी-चावल खाने का महत्व यह है कि दिवाली के दिन पूड़ी-पकवान और तरह-तरह के गरिष्ठ व्यंजन खाए जाते हैं। जिससे पाचनतंत्र पर अधिक दबाव पड़ता है। जबकि छाछ से बनी कढ़ी सुपाच्य और पाचन को सही बनाने में भी सहायक होती है। इसलिए हाई फैट युक्त भोजन खाने के बाद जब कढ़ी-चावल का सेवन किया जाता है तो हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है और दिवाली के दिन खाए गए हैवी फूड से हमारी हेल्थ खराब नहीं होती है।

 

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