नवरात्री: ऐसे की जाती है माँ दुर्गा की पूजा, जानिये क्या है सही तरीका और क्यूं होती है कन्या पूजन

नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना हो रही है.  24 अक्टूबर को हर घर में अष्टमी की पूजा और व्रत रखा जा रहा है हालांकि नवमी और विजयदशमी को लेकर तारीख या तिथि को लेकर संशय है. इस बार दुर्गा अष्टमी , महानवमी और दशहरा की तिथियों को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है, क्योंकि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन समाप्त हो जा रहा है.

नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना हो रही है.  24 अक्टूबर को हर घर में अष्टमी की पूजा और व्रत रखा जा रहा है हालांकि नवमी और विजयदशमी को लेकर तारीख या तिथि को लेकर संशय है. इस बार दुर्गा अष्टमी , महानवमी और दशहरा की तिथियों को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है, क्योंकि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन समाप्त हो जा रहा है.

हिंदी पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे की तरह नहीं होती हैं. ऐसे में यह तिथि 24 घंटे से कम या ज्यादा हो सकती हैं. नवरात्रि की महाष्टमी, महानवमी और दशहरा (विजयादशमी) की तारीख, कन्या पूजन, हवन के समय आदि की पूरी जानकारी के लिए आप इस लाइव ब्लॉग पर बने रहिए..
क्या है कन्या पूजन की सही तिथि:
नवरात्रि पूजा के तहत शनिवार यानी 24 अक्टूबर 2020 को अष्टमी और नवमी संयुक्त रूप से पड़ रही है. ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि नवमी को ही सिद्धिदात्री की पूजा होगी. इसके अलावा अष्टमी तिथि को कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. अत: अगर आप कन्या पूजन करना चाहते हैं तो आज से सही मुहूर्त शुरू हो रहा है.

महागौरी का मंत्र-

नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महागौरी के इस मंत्र की आराधना करें:

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि 2020: अष्टमी पर जरूर करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

आज नवरात्रि पूजन के तहत मां के आठवें स्वरूप यानी महागौरी की पूजा की जा रही है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि आज है. हिंदू मान्यताओं में मां दुर्गा के नौ स्वरूप को ही शक्ति के तौर पर देखा गया है और उन्हीं की आराधना होती है. आपको बता दें कि दुर्गाष्टमी के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी होता है.

हर कन्या का अलग रुप

नवरात्रि में सभी उम्र वर्ग की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.10 वर्ष की कन्या सुभद्रा, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 8 वर्ष की शाम्भवी, 7 वर्ष की चंडिका, 6 वर्ष की कालिका, 5 वर्ष की रोहिणी, 4 वर्ष की कल्याणी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी माना जाता है.

कन्या पूजा का नियम

कन्या पूजा में आपको 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए. जब आप कन्या पूजा करने जाएं तो 02 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए. 9 कन्याएं 9 देवियों का स्वरुप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरुप होते हैं. कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं, फिर उनको चंदन लगाते हैं, फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं. फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरुप कुछ उपहार भी देते हैं.

 

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