NDA से अलग हुई TDP, आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के बाद लिया फैसला
नई दिल्ली। एनडीए की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने बुधवार को सरकार से अलग होने का फैसला लिया. पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए से अलग होने का ऐलान करते हुए कहा कि यह हमारा अधिकार है केंद्र ने हमसे किया वादा पूरा नहीं किया. नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार में रहने का फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हम आंध्र के फायदे के लिए केंद्र सरकार में शामिल हुए थे. लेकिन आंध्र को फायदा नहीं मिल रहा है. नायडू ने कहा कि ने कहा हम यह मुद्दा बजट के दिन से ही उठा रहे हैं लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि हम पिछले 4 सालों से धैर्य बनाए हुए थे. मैंने केंद्र का तरह से समझाने की कोशिश की. लेकिन केंद्र सरकार सुनने के मूड में नहीं है. मुझे नहीं पता कि मेरी क्या गलती है. पता वो ऐसी बातें क्यों कर रहे है? एक जिम्मेदारी राजनेता होने के नाते मैंने अपने फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराने की कोशिश की थी, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे.
चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र की एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) की सरकार में शामिल अपने दोनों मंत्रियों से इस्तीफा देने को कहा है. टीडीपी के दो मंत्री केंद्र सरकार में है. टीडीपी के अशोक गजपति राजू केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं जबकि वाइ एस चौधरी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि गुरुवार को दोनों मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं.
The centre is not in a mood to listen. I don’t know what mistake i have done. Why are they speaking such things?: Andhra Pradesh CM Chandrababu Naidu in #Amaravati. pic.twitter.com/QvwELRBWn2
— ANI (@ANI) March 7, 2018
आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश सरकार में शामिल बीजेपी के दो विधायक भी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे. बीजेपी के मानिक्याला राव और कामिनेनी श्रीनिवास राव नायडू सरकार में मंत्री हैं. गौरतलब है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए से नाराज घटक दल टीडीपी को शांत करने के लिए बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली आगे आए थे और उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार आंध्र को विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के समान वित्तीय मदद देने को प्रतिबद्ध है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति से धन की मात्रा नहीं बढ़ सकती है.
नहीं दिया जा सकता विशेष राज्य का दर्जाः केंद्र
जेटली ने कहा कि चार साल पहले राज्य के विभाजन के समय जो भी वायदे किए थे गये थे उनकी सरकार उन सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी. जेटली ने कहा कि 2014 में राज्य विभाजन के समय इस प्रकार की श्रेणी जरूर थी लेकिन 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बाद इस तरह के दर्ज को संवैधानिक रूप से केवल पूर्वोत्तर व तीन पहाड़ी राज्यों तक सीमित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि उक्त उल्लेखित राज्यों के अलावा किसी अन्य राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को भी उतना ही धन उपलब्ध करवाएगी जितना विशेष दर्ज वाले राज्य को मिलता है. गौरतलब है कि विशेष श्रेणी वाले राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए जरूरी धन का 90 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार देती है. वहीं सामान्य श्रेणी के राज्यों में केंद्र का हिस्सा केवल 60 प्रतिशत होता है. बाकी का धन राज्य सरकारें वहन करती हैं.
केंद्र के पास अनाप-शनाप धन उपलब्ध नहींः जेटली
जेटली ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लिए केंद्र विभिन्न बाहरी एजेंसियों जैसे दूसरे माध्यमों से योजना कोष का 90 प्रतिशत हिस्सा देने को प्रतिबद्ध है जो कि विशेष राज्य के दर्जे वाले राज्य को प्रदान किया जाता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस तरह के धन को नाबार्ड के जरिए लगवाने के राज्य सरकार के सुझाव को स्वीकार करने पर विचार करना चाहती है. एनडीए से हटने की टीडीपी की धमकी के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने संवाददाताओं से कहा था, ‘राजनीतिक मुद्दों से धन में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती क्योंकि केंद्र के पास अनाप-शनाप धन उपलब्ध नहीं है.
विशेष उद्देश्यी कोष( एसपीवी) बनाने का सुझाव
जेटली के अनुसार पिछले महीने की बैठक में केंद्र ने एक विशेष उद्देश्यी कोष( एसपीवी) बनाने का सुझाव दिया था जहां नाबार्ड धन दे सके ताकि उस राज्य का राजकोषीय घाटा प्रभावित नहीं हो. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस तरह से सहायता दिए जाने के तौर तरीकों पर अभी अपनी राय नहीं बताई है. उन्होंने कहा कि विभाजन के समय आंध्र प्रदेश को जिन संस्थानों का वादा किया गया था उनकी स्थापना का काम चल रहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया है. इस बारे में जेटली ने कहा, ‘ मुझे14 वें वित्त आयोग की संवैधानिक व्यवस्थाओं का पालन करना होगा.’ उन्होंने कहा कि विशेष दर्जे वाले राज्य के समकक्ष आंध प्रदेश को जो धन मिल सकता था वह हम उसे देने को प्रतिबद्ध हैं. राज्य सरकार के राजस्व घाटे को पूरा करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र उसे 4,000 करोड़ रुपये दे चुका है और बकाया केवल 138 करोड़ रुपये का है.
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