स्पेशल स्टोरी :- ….अपने ही गिराते हैं नशेमन पर बिजलियां…

….अपने ही गिराते हैं नशेमन पर बिजलियां…

उत्तर प्रदेश सरकार में क्या सब कुछ ठीक चल रहा है। ये सवाल रह रह के जेहन में इसलिए आ जाता है कि सरकार तो प्रचंड बहुमत वाली है,लेकिन बीच बीच मे सरकार पर सत्तारूढ़ दल के अपने ही सिपहसालार यानी विधायक उंगलियां उठा देते हैं ,तो बात कुछ अटपटी सी लगने लगती है।

इतना भ्रष्टाचार कभी नही देखा- बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश

ताज़ा हालिया घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने अपनी ही पार्टी की सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा कि, मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार नहीं देखा जितना इस समय देख और सुन रहा हूं। वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जिससे शिकायत करो वह खुद ही वसूली कर लेता है।

हरदोई के गोपामऊ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार आज तक नहीं देखा है। हालांकि ज्यादा बवाल मचने उन्होंने अपनी पोस्ट डिलीट भी कर दी है।

सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी ही सरकार और सिस्टम के खिलाफ बोलने वाले हरदोई की गोपामऊ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने वर्तमान में भ्रष्टाचार होने की बात लिखी है। विधायक ने अपनी फेसबुक आईडी पर लिखा, “मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार नहीं देखा, जितना इस समय देख और सुन रहा हूं। जिससे शिकायत करो, वह खुद वसूली कर लेता है।” बाद में ज्यादा बवाल मचने पर उन्होंने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी।

पोस्ट डिलीट करने के बाद उन्होंने लिखा, “मैंने हरदोई में कुछ अधिकरियों के भ्रष्टाचार की बात लिखी, लोग उसे सरकार में भ्रष्टाचार कहने लगे, इसलिए पोस्ट डिलीट कर दी।” विधायक श्याम प्रकाश ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। इससे पहले भी वह सरकार और तंत्र के साथ ही अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया के माध्यम से हमला बोल चुके हैं।

उन्होंने फेसबुक को ही अपनी बात रखने का जरिया बनाया है। फेसबुक पर विधायक की पोस्ट से विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ बोलने का मौका जरूर मिल गया है।

यहां ये भी बताना जरूरी है कि यह पहली बार नहीं है जब श्याम प्रकाश ने सरकार के खिलाफ सवाल उठाया है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में उन्होंने विधायक निधि के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया था। उन्होंने हरदोई के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने विधायक निधि की तरफ से दिए गए 25 लाख रुपये का अपना योगदान वापस मांगा था।

बीजेपी विधायक पप्पू भरतौल ने आईजी रेंज से मांगी टॉप 10 कुख्यात पुलिसकर्मियों की लिस्ट:-

उत्तर प्रदेश के बरेली के बिथरी चैनपुर विधानसभा से बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने जिले के टॉप कुख्यातों की लिस्ट यूपी पुलिस से मांगी है। यह लिस्ट कुख्यात अपराधियों की नहीं बल्कि कुख्यात पुलिसकर्मियों की है। इतना ही नहीं उन्होंने पत्र लिखकर आईजी रेंज से इन लिस्ट को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाने की मांग भी की है।
‘निर्दोषों पर कार्रवाई करती है पुलिस’

बीजेपी विधायक पप्पू भरतौल ने अपनी ही सरकार की पुलिसिंग पर निशाना साधा है। उत्तर प्रदेश पुलिस के रवैये पर उन्होंने लिखा कि पुलिस हकीकत में निर्दोषों पर कार्रवाई करती है और आपराधिक किस्म के व्यक्तियों से सांठगांठ कर अपराध को बढ़ावा देती है।

विधायक के पत्र और बरेली पुलिस हरकत में- अब टॉप-10 कुख्‍यात पुलिसकर्मियों की सूची पर बरेली पुलिस का जवाब सामने आया है। पुलिस ने ट्वीट बताया है कुख्‍यात पुलिसकर्मियों को सूचीबद्ध किए जाने की कार्रवाई बरेली जोन के सभी जिलों में प्रचलित है।

खैर, इस पत्र के माध्यम से बीजेपी विधायक ने अपनी ही सरकार के पुलिसिंग को आईना दिखा दिया है।

कोरोना काल मे सीतापुर बीजेपी विधायक के निशाने पर थी पार्टी, सरकार प्रधानमंत्री…

बरेली,हरदोई के ये कोई एक दो मामले नही हैं, इससे पहले भी इसी कोरोना काल मे सीतापुर सदर सीट से बीजेपी विधायक राकेश राठर का ऑडियो काफी चर्चा में रहा था। कुछ समय पहले बीते अप्रैल महीने में बीजेपी के सीतापुर सदर से विधायक राकेश राठौर के कुछ कथित ऑडियो टेप वायरल हुए। जिनमें वो कोरोना संकट से लड़ने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अपील का मख़ौल उड़ा रहे थे।

जिसमें उन्होंने कोरोना वॉरियर्स के लिए ताली, थाली और घंटी बजाने की अपील की थी. राकेश राठौर की यह बात किसी के साथ फ़ोन पर बातचीत के दौरान रिकॉर्ड हो गई थी। उसी दौरान एक अन्य ऑडियो टेप में वो दिल्ली में हार का ठीकरा भी पार्टी की नीतियों पर फोड़ते हुए कटाक्ष करते हुए सुने गए थे।

ऑडियो में दिल्ली के किसी बीजेपी नेता से बातचीत के दौरान वो कहते हैं कि, “दिल्ली साफ़ हो गए, झारखंड साफ़ हो गए. इसी झूठ के चलते आगे भी यही होने वाला है. वोट दलित-पिछड़े सबने दिया लेकिन राज ब्राह्मणों का चल रहा है. भाजपा ब्राह्मणों का राज स्थापित करना चाहती है..”

इसके बाद पार्टी संगठन हरकत में आया प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह निर्देश पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

..जब विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे सौ से अधिक विधायक..

इससे भी पहले चलें तो पिछले विधानसभा सत्र में एक अजीब घटनाक्रम देखने को मिला था। यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा के लोनी गाजियाबाद से विधायक नंद किशोर गुर्जर को अपना पक्ष न रखने देने के मुद्दे को लेकर वो धरने पर बैठ गए थे।

इस दौरान उन्हें सपा और कांग्रेस के सदस्यों ने समर्थन दिया था। हंगामा करने के कारण सत्र के पहले दिन की कार्यवाही स्थगित हो गई थी। गुर्जर ने अपने ही प्रदेश सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर विधानसभा सदन में धरना दिया था।

उनके धरने को भाजपा और सपा के तमाम विधायकों ने समर्थन दिया. विधायक नंद किशोर के समर्थन में विधायकों के बीच हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया था।बाद में विधानसभा की संसदीय समिति के समक्ष डीएम-एसपी को पेश कराने का आश्वासन देकर विधायक का धरना खत्म कराया गया था। उस विधानसभा के ऐतिहासिक सत्र में बताया गया था कि सदन में धरने पर करीब 100 विधायक बैठे थे, जिसमें बीजेपी के भी काफी तादाद में विधायक शामिल थे।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार पर सवालिया निशान लगाते ये बीजेपी विधायकों की बानगी कहीं, न ,कहीं एक असंतोष को दिखाती हैं। यही असंतोष और सवालिया निशान लगाते हुए यूपी में एनडीए सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और तत्समय कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सरकार से अलग होकर रास्ता बदल दिया था.

तब बीजेपी की तरफ से ये दलील दी जाती थी कि राजभर सिर्फ स्वार्थसिद्धि के लिए सरकार से जुड़े थे,स्वार्थ पूर्ति न होने पर वो अलग हुए हैं। जबकि उस समय से मौजूदा समय मे यूपी की राजनीति की गंगा में अथाह जलराशि बह गई है, क्योंकि स्थितियां सामान्य होतीं तो अपने ही विधायक खड्गधारी न बने हुए होते।

 

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