NRC जारी होने के बाद अधर में लटका 40 लाख से ज्यादा लोगों का भविष्य, सिसायत शुरू

गुवाहाटी/ नई दिल्ली। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के ‘पूर्ण मसौदे’ के सोमवार को जारी होने के बाद इसमें उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाने वाले 40 लाख से ज्यादा लोगों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि इन लोगों की नागरिकता की स्थिति पर टिप्पणी करने से केंद्र ने इनकार कर दिया है. इस पंजी में 2.89 करोड़ लोगों का नाम शामिल है. एनआरसी में शामिल होने के लिए असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था.
असम पहला भारतीय राज्य है जहां असली भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है. एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरम्यानी रात जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय महापंजीयक शैलेश ने घोषणा की कि महत्वाकांक्षी एनआरसी में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसौदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को योग्य पाया गया है. इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है. यह ‘ऐतिहासिक दस्तावेज’ असम का निवासी होने का प्रमाण पत्र होगा. शैलेश ने कहा, “यह भारत और असम के लिये ऐतिहासिक दिन है. आकार के लिहाज से यह एक अभूतपूर्व कवायद है. यह एक कानूनी प्रक्रिया है जिसे उच्चतम न्यायालय की सीधी निगरानी में अंजाम दिया गया.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने करीब 40 लाख आवेदकों के नाम न होने की वजह पूछे जाने पर कहा, “हम कारणों को सार्वजनिक नहीं करने जा रहे हैं. इसकी जानकारी व्यक्तिगत रूप से दी जाएगी. वे एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके) पर जाकर भी कारणों के बारे में पता कर सकते हैं.”
दावा और आपत्ति जताने की प्रक्रिया 30 अगस्त से
डर को खारिज करते हुए शैलेश ने कहा, ‘‘यह एक मसौदा एनआरसी है, यह अंतिम नहीं है. मसौदे के संबंध में दावा और आपत्ति जताने की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरू होगी और 28 सितंबर तक चलेगी. लोगों को आपत्ति जताने की पूर्ण एवं पर्याप्त गुंजाइश दी जाएगी. किसी भी वास्तविक भारतीय नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम एनआरसी के प्रकाशन तक यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी और इसकी समय-सीमा पर समीक्षा के लिए आए आवेदनों की मात्रा देखने के बाद फैसला किया जाएगा. हाजेला ने स्वीकार किया कि कुछ दस्तावेज जिन्हें प्रमाणीकरण के लिये दूसरे राज्यों में भेजा गया था वे वापस नहीं आए हैं और एनआसी अधिकारियों को इन विवरणों की पुष्टि के लिये अपने तंत्र का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.
भारतीय महापंजीयक ने कहा कि इस विशालकाय काम के लिए जमीनी स्तर पर काम दिसंबर 2013 में शुरू हुआ था और पिछले तीन वर्षों में इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में 40 सुनवाई हुई. एनआरसी की आवेदन प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई थी और अभी तक पूरे असम से 68.31 लाख परिवारों के द्वारा कुल 6.5 करोड़ दस्तावेज प्राप्त किए गए हैं.
प्रकिया ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ तरीके से पूरी की गई: राजनाथ सिंह
अंतिम मसौदा जारी होने के कुछ मिनटों बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह प्रकिया ‘‘निष्पक्ष और पारदर्शी’’ तरीके से पूरी की गई. उन्होंने नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा, “किसी के भी खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी. इसलिए किसी को भी घबराने की जरुरत नहीं है.”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए उस पर ‘वोट बैंक की राजनीति’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘फूट डालो राज करो की नीति देश को खत्म कर देगी.’ बनर्जी ने दावा किया कि जिन लोगों के पास पासपोर्ट, आधार और मतदाता पहचान पत्र थे उन्हें भी अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किया गया.
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