NRC विवाद के बीच संसद में उठा रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा, सरकार ने कहा- राज्य पहचान कर देश से बाहर करें

नई दिल्ली। असम में एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट को लेकर मचे बवाल के बीच आज लोकसभा में रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा भी गूंजा. शिवसेना ने आज प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने रोहिंग्या मुसलमानों के लेकर गृहमंत्रालय से सवाल पूछा. अरविंद सावंत ने पूछा कि अब तक कितने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजा गया, इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों को मिले राशन कार्ड और वोटर कार्ड का मुद्दा भी उठाया. गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजु ने जवाब देते हुए श्रीलंका से आये शरणार्थियों को गलती से तमिलनाडु से आए शरणार्थी कह दिया, जिस पर विपक्ष ने हंगामा किया. इसके बाद रिजिजू ने भूल सुधार किया.

गृहमंत्रालय ने जारी की एडवायजरी, हम रोहिंग्या को वापस भेजेंगे
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि हाल ही में एक एडवायजरी जारी की गई है जिसमें राज्य सराकरों से कहा गया कि रोहिंग्या की पहचान और गिनती और कर उन्हें एक जगह इकट्ठा करें. इसके साथ ही उनके बायोमेट्रिक भी लेने की बात कही गई है. रोहिंग्या को वापस भेजने का अधिकार राज्यों के पास भी है. राज्यों से मिली जानकारी को हम विदेश मंत्रालय को देंगे, विदेश मंत्रालय म्यांमार की सरकार से बात कर उन्हें वापस भेजने का काम करेगा.

रोहिंग्या पर क्या बोले किरेन रिजीजू
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजु ने शिवसेना सांसद के जवाब में सरकार ने कहा कि रोहिंग्याों को देश में शरणार्थी नहीं दिया गया है, वो अवैध प्रवासी हैं. जिसकी एंट्री ही अवैध है उसे सरकार की ओर से कोई सुविधा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता. रिजीजू ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता भारतीय नागरिक हैं, हम अवैध प्रवासियों के लिए यहां नहीं आए हैं.

रिजीजू ने कहा कि अगर उन्हें राशन कार्ड या बाकी सुविधा मिल रही है वो उन्होंने अवैध तरीके हासिल की है. गृहमंत्रालय ने यह बात सभी राज्यों से कही है कि कोई रोहिंग्या किसी भी तरीके कोई दस्तावेज हासिल ना करे. जिससे भविष्य में वो देश में हक जता सके.

बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ हमारा फेंसिंग (कटीली बाढ़) का प्रावधान है लेकिन भूटान, म्यांमार, नेपाल और चीन के साथ ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. हर राष्ट्र के साथ हमारा अलग समझौता है. जिस 16 किलोमीटर सीमा की बात कही जा रही है वो म्यांमर के साथ है. लेकिन जहां रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं वो इस 16 किलोमीटर के क्षेत्र में नहीं आता है. बांग्लादेश में बसे आठ से दस लाख रोहिंग्या इसलिए भारत में नहीं आ पाए क्योंकि यहां सख्त कदम उठाए गए हैं.

 

राहुल गांधी रोहिंग्या को बसाना चाहते हैं: गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रोहिग्या मुसलमानों के बहाने राहुल गांधी पर बड़ा बोला है. गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी रोहिग्या मुसलमानों को भारत में बसाना चाहते हैं. गिरिराज सिंह ने कहा, ”राहुल गांधी सीधे-सीधे कह दें कि भारत एक धर्मशाला है. जो अवैध रूप से आया है वो घुसपैठिया है उसे निकाला जाना चाहिए. राहुल गांधी तो रोहिंग्या को भी बसाना चाहते हैं.”

 

सिंह ने कहा, ”बंगाल की जनता की मांग है तो बंगाल मे भी एनआरसी लाना चाहिए. वैसे तो ममता बनर्जी कई बार कह चुकीं हैं कि किसी की हिम्मत है तो घुसपैठियों को निकाल के देखे, ये देश को वोट लिए बेच देना चाहते है. ममता बैनर्जी तो कहती रही है कि रोहिंग्या भी यही रहेंगे लेकिन हम नही रहने देंगे.”

 

रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में जानें
रोहिंग्या का शुमार दुनिया के सबसे ज्यादा सताए हुए अल्पसंख्यक समुदाय में होता है. ये जातीय (एथनिक) समूह है जो बौद्ध बहुसंख्यक म्यांमार में आबाद है. म्यांमार में इनकी सबसे ज्यादा आबादी रखाइन प्रांत में है. हालांकि, रखाइन के अलावा अन्य 7 इलाकों में भी रोहिंग्या मुसलमान आबाद हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत ही कम है. म्यांमार में इस वक़्त करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं. बीते 70 साल से रोहिंग्या मुसलमान अपने ही वतन में जुल्म-व-सितम सहने के साथ ही अजनबी की तरह जीने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास नागरिकता नहीं है. इसकी वजह ये है कि इनका शुमार म्यांमार के 135 आधिकारिक जातीय समूह में नहीं होता है.

 

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