नवरात्रि स्पेशल: एक बार जरूर पधारे इस मंदिर में, बड़े ही अनोखे तरीके से बनता है यहाँ केसर

बिलाड़ा में स्थित आई माता का मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। वैज्ञानिक युग में आज भी लोगों को चमत्कार देखने को मिल रहा है। आई माता के मंदिर पूरे भारत में लगभग 800 मंदिर बने हुए सबसे ज्यादा मंदिर दक्षिण भारत में बने हुए हैं। बिलाड़ा में भादवा सुदी बीज और चैत्र पक्ष के बीच में आई माता ज़ी का विशाल मेला भरा जाता है।

बिलाड़ा में स्थित आई माता का मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। वैज्ञानिक युग में आज भी लोगों को चमत्कार देखने को मिल रहा है। आई माता के मंदिर पूरे भारत में लगभग 800 मंदिर बने हुए सबसे ज्यादा मंदिर दक्षिण भारत में बने हुए हैं। बिलाड़ा में भादवा सुदी बीज और चैत्र पक्ष के बीच में आई माता ज़ी का विशाल मेला भरा जाता है। मेले में महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश कर्नाटक गुजरात राजस्थान के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु बिलाडा पहुंच कर आई माताज़ी के दर्शन करते हैं और मंदिर में प्रज्वलित अखंड ज्योत के दर्शन कर मन्नत मांगते हैं।

आई माताज़ी के मंदिर में 550 साल पहले प्रज्वलित ज्योत आज भी अखंड है। यह भी किसी चमत्कार से कम नहीं है इस ज्योत के ऊपर रखे पात्र में ज्योत की लो से काजलिया कालापन नहीं बल्कि कैंसर निकलता है। राजस्थान के जोधपुर जिले में बिलाड़ा गांव में स्थित श्री आई माता मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। प्रतिवर्ष नवरात्र में लाखों श्रद्धालु माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने के लिए आते हैं। जोधपुर से महज 80 किलोमीटर की दूरी पर जयपुर रोड पर स्थित श्री आई माता का मंदिर विश्व विख्यात तीर्थ धाम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता के इस मंदिर में दीपक में से काजल की जगह केसर निकलता है और दीपक से निकलने वाले इस केसर को भक्त अपनी आंखों में लगाते हैं।

भक्त बताते हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और यहां माता आई थी, इसलिए इस मंदिर को आईज़ी माता के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का अवतार श्री आईमाता गुजरात के अम्बापुर में अवतरित हुई थी। अम्बापुर में कई चमत्कारों के पश्चात श्री आईमाता ज़ी भ्रमण करते हुए बिलाड़ा आईं थी। यहां पर उन्होंने भक्तों को 11 गुण और सदैव सन्मार्ग पर चलने के सदुपदेश दिए तथा ये 11 गुण आज भी लोग जानते हैं। उनके दिए आशीर्वाद को समझ कर उसका पालन भी करते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, इस अखण्ड ज्योति के दर्शन से ही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। करीब 1556 ईसवीं में बने इस मंदिर में एक गद्दी है, जिसकी पूजा भक्त सदियों से करते चले आ रहे हैं। यहां माता की मात्र तस्वीर है, जो गद्दी पर विराजित हैं। आई ज़ी माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि ज्योति से टपकने वाली केसर लगाने से आंखों के रोग के साथ अन्य रोग भी ख़त्म हो जाते हैं।

 

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