PM मोदी, राहुल गांधी के सवालों के जवाब देंगे या फिर हंसी में उड़ा देंगे

नई दिल्ली। लोकसभा में आज चल रही अविश्वास प्रस्ताव की बहस में कांग्रेस को बोलने के लिए कुल मिलाकर 38 मिनट का समय दिया गया था. लेकिन कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने ही पूरे एक घंटे सदन को संबोधित कर दिया. इस दौरान लोकसभाध्यक्ष ने एक बार भी उनसे जल्दी बैठने के लिए नहीं किया. राहुल ने आज के भाषण में एक बार भी आस्तीन ऊपर नहीं चढ़ाई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वे कम आक्रामक हो गए हों. राहुल गांधी ने अपना भाषण शुरू करते ही मोदी सरकार और खासकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवालों की झड़ी लगा दी. लोग भले ही उनकी बॉडी लैंग्‍वेज की बात कर रहे हों, लेकिन जनता ने उनके सवाल सुने हैं. इन सवालों को अनसुना नहीं किया जा सकता.

जैसे राहुल ने पहला सवाल किया कि 15 लाख रुपये जनता के अकाउंट में कब आ रहे हैं. यह सवाल तो मोदी सरकार बनने के बाद से ही बहस का स्थायी भाव बना हुआ है. राहुल ने दूसरा सवाल किया कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया गया. सरकार हर साल सिर्फ चार लाख लोगों को रोजगार दे रही है. यह सवाल देश के 40 करोड़ युवाओं से सीधा जुड़ा हुआ है. इसी सवाल को आगे बढ़ाते हुए राहुल ने पकौड़ा रोजगार की भी चर्चा कर दी. उसके बाद उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर सवाल दाग दिए.

राहुल सिलसिलेवार आगे बढ़ते गए. वे लगातार मोदी सरकार पर कुछ चुने हुए पूंजीपतियों के हाथ में खेलने का आरोप लगाते रहे हैं. यहां उन्होंने सीधे पूछा कि जिओ कंपनी के विज्ञापन में मोदी का फोटो क्यों छपा. उन्होंने पूछा कि देश का चौकीदार कहा हैं. राहुल और आगे बढ़े और राफेल डील का मुद्दा उठा दिया. राहुल ने इस मामले में रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया.

यहां तक प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी के सवालों पर खामोश थे या मुस्कुरा रहे थे. लेकिन यह आरोप लगने के बाद रक्षा मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री दोनों उत्तेजित हो गए. राहुल एक कदम और आगे बढ़ गए और डोकलाम का मुद्दा उठा दिया. यहां उन्होंने बड़े करीने से सैनिकों की बहादुरी की तारीफ की और सारी समस्या के लिए सरकार की अदूरदर्शिता को दोषी ठहरा दिया. यहां तक आते-आते राहुल गांधी ने किसान, गरीबी, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और विदेशनीति सारे मामलों को कवर कर लिया. राहुल के भाषणों में इससे पहले इतने सारे विषयों को एक साथ पिरोने की मिसाल कम ही मिलती है.

उनके भाषण के दौरान पूरा सत्तापक्ष इस कदर उग्र हो गया कि एकबारगी ऐसा दृश्य बना कि लगा राहुल सत्ताधारी नेता हैं और सामने से विपक्ष उनका विरोध कर रहा है. महज 48 सांसदों वाली पार्टी के अध्यक्ष को इतनी तवज्जो मिलना बताता है कि उन्होंने अपना कद बढ़ा लिया है.

राहुल ने बाद में उद्योगपतियों का कर्ज माफ करना और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा भी उठा लिया. जब पीएम लगातार उनकी तरफ न देखकर यहां वहां देखते रहे तो राहुल ने सीधा सवाल किया कि प्रधानमंत्री उनकी आंख से आंख नहीं मिला पा रहे हैं. इस सीधे सवाल पर प्रधानमंत्री ठठा कर हंस पड़े.

लेकिन क्या इन सवालों को वे अपने जवाबी भाषण के दौरान भी हंसकर टाल देंगे या जवाब देंगे. क्योंकि राहुल ने न सिर्फ यह सवाल उठाए हैं, बल्कि पीएम के एक सवाल का जवाब भी दिया है. पीएम मोदी ने हाल में कांग्रेस से पूछा था कि क्या कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है. आज राहुल ने कह दिया कि भाजपा आरएसएस की नीतियों के चलते वह हिंदू धर्म और हिंदुस्तान को और ढंग से समझ गए हैं. राहुल गांधी का यह सेक्‍लुयर हिंदुत्व बीजेपी की चुनावी रणनीति के लिए बहुत शुभ साबित नहीं होगा.

जाहिर है राहुल के भाषण के कुछ घंटे बाद जब पीएम मोदी सदन के पटल पर आएंगे तो उनके पास कहने को बहुत सी बातें होंगी. वे अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की दलीलें देंगे और देश को बताएंगे कि वे अब भी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. अपने स्वभाव के मुताबिक वे राहुल के आरोपों पर कोई न कोई तंज जरूर कसेंगे. लेकिन बहुत अच्छा होगा कि वे तंज के साथ ही सवालों के जवाब भी दें. क्योंकि राहुल के जवाब के माध्यम से वे देश की चिंता को दूर कर रहे होंगे.

 

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