PNB की वित्तमंत्री को रिपोर्ट, बताया- कैसे हुआ घोटाला

नई दिल्ली। नीरव मोदी को जारी किए गए ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ (LoUs) का मामला दबाए रखने को पंजाब नेशनल बैंक का रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी कितनी अहमियत दे रहा था, इसका सबूत ये है कि उसने 2017 में तब तक एक दिन की छुट्टी भी नहीं ली, जब तक कि वो रिटायर नहीं हो गया. इतना ही नहीं शेट्टी ने मुंबई के ब्रेडी हाउस स्थित पीएनबी की ब्रांच में दो तबादले रुकवाने और एक को निरस्त कराने की कोशिश की. साथ ही एचआर डिपार्टमेंट को ये रिपोर्ट भेजी जा रही थी कि आदेशों का अनुपालन हो गया है.

ये सारी हैरान करने वाली बातें पंजाब नेशनल बैंक के टॉप अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कही हैं. इस रिपोर्ट में उन कारणों का उल्लेख किया गया है जिनकी वजह से दो अरब डॉलर का घोटाला हुआ. इंडिया टुडे के पास इस रिपोर्ट की प्रति मौजूद है.

एक तरफ जहां ब्लेम-गेम शुरू हो गया है, वहीं ऑडिट चेक्स में कितनी ढिलाई बरती गई ये इसी से पता चलता है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से ब्रांच का आखिरी ऑडिट नौ साल पहले 31 मार्च 2009 को किया गया था. एक मिड कॉरपोरेट ब्रांच जो बड़ी नेटवर्थ वाले व्यक्तियों को डील करती है, उसका कायदे से हर साल ऑडिट होना जरूरी होता है.

वित्तीय सेवा विभाग और चीफ विजिलेंस कमीशन की ओर से ऐसी चूक के लिए जहां आरबीआई से सवाल किए जाएंगे, वहीं सिस्टम में कुछ और खामियों को लेकर प्रश्न बने हुए हैं. जैसे कि हर स्विफ्ट ट्रांजेक्शन के लिए नये रेफरेंस नंबर को जेनरेट करने की आवश्यकता होती है, इस मामले में बीते 7 साल से एक ही नंबर को इस्तेमाल होता आ रहा था. पीएनबी के अधिकारियों का कहना है कि स्विफ्ट और सीबीएस सिस्टम इतने साल तक लिंक नहीं था, क्योंकि बैंक को बैंकिंग सॉफ्टवेयर के उन्नत संस्करण ‘फिनेक्ल’ आने का इंतजार था.

गनीमत ये रही कि फ्रॉड पीएनबी की एक ही ब्रांच से हुआ जबकि स्विफ्ट तक देश भर में बैंक के कम से कम 200 अधिकारियों की पहुंच थी. रिपोर्ट में ये माना गया है कि नीरव मोदी को ब्रांच की ओर से जो 500 से ज्यादा एलओयू जारी किए गए, उनमें से एक के लिए भी नीरव मोदी ने आवेदन नहीं किया था.

पीएनबी की रिपोर्ट में ये भी माना गया है कि भारतीय बैंकों की विदेश स्थित शाखाएं मूल पब्लिक सेक्टर के बैंकों के लिए ड्रेन की तरह बन गई हैं. हैरान करने वाले खुलासे में बैंक अधिकारियों ने माना है कि जिस चीज की भारत में इजाजत नहीं दी जा सकती, उन्हें पब्लिक सेक्टर के बैंक विदेश स्थित शाखाओं के लिए हरी झंडी दिखा देते हैं. ऐसे में लंदन स्थित पीएनबी की एक ब्रांच का हवाला दिया जा सकता है जहां 70 फीसदी कर्ज NPA में बदल गया.

वित्तीय सेवा विभाग के अधिकारियों ने माना कि स्टाफ की जवाबदेही नहीं है, जो जीएम (महाप्रबंधक) सीईओ की तरह तैनात किए जाते हैं उनके पास कर्ज मंजूर करने या माफ करने के लिए असीमित शक्तियां होती हैं.

 

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