PNB स्कैम: 54 कर्मचारियों और मॉनिटरिंग की खामियों की वजह से 13000 करोड़ का घोटाला हुआ

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुआ 13 हजार करोड़ का घोटाला बैंक के ही कुछ ‘शातिर’ कर्मचारियों के करतूत का नतीजा है. लेकिन यह पकड़ में इसलिए नहीं आया क्योंकि रिस्क कंट्रोल और मॉनिटरिंग में खामियां थीं. बैंक के आंतरिक जांच में इस बात का खुलासा हुआ है.

देश के सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक पीएनबी ने पहले कहा था कि मुंबई के एक ही ब्रांच के कुछ कर्मचारियों ने कई साल तक फर्जी बैंक गारंटी जारी की जिससे हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके रिश्तेदार मेहुल चोकसी ने अरबों डॉलर विदेश से निकाल कर भारत के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया.

बैंक के सीईओ सुनील मेहता ने अप्रैल में कहा था कि उन्होंने 21 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और इसमें शामिल अन्य लोगों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन उसी वक्त उन्होंने इस घोटाले को एक बेहद छोटा उथल-पुथल कहा था.

जैसा बैंक ने शुरुआत में कहा था कि यह मामला सिर्फ एक ब्रांच के कर्मचारियों की मनमानी की वजह से हो पाया, ऐसा नहीं है. पीएनबी के अधिकारियों की  आंतरिक जांच की 162 पेज की रिपोर्ट खंगालने के बाद पता चलता है कि इसमें कई शाखाओं के कर्मचारियों और अधिकारियों ने खुली लापरवाही की, जिससे इतना बड़ा घोटाला हुआ.

न्यूज-18 की खबर के मुताबिक, पीएनबी की आंतरिक रिपोर्ट बताती है कि बैंक के 54 अधिकारी जिसमें कलर्क से लेकर फॉरेन एक्सचेंज ऑफिसर तक और ऑडिटर्स से लेकर क्षेत्रीय शाखाओं के हेड तक शामिल थे, इन लोगों ने इस बड़े घोटाले को होने दिया. इन 54 लोगों में से 8 लोगों की संदिग्ध भूमिका मानकर पुलिस इनकी जांच भी कर रही है.

इस रिपोर्ट को अधिकारियों ने बैंक के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट आर्म को 5 अप्रैल को सौंपा था. इसी रिपोर्ट के दर्जनों पेज को पुलिस ने सबूत के तौर पर इस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कोर्ट में भी पेश किया था. रिपोर्ट में से क्या जानकारी मिली थी, इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया था.

इस साल जनवरी में घोटाले के सामने आने के बाद से न केवल पीएनबी प्रबंधन की कमियां सामने आई हैं बल्कि एक सार्वजनिक बैंक से देश के लोगों का विश्वास भी टूटा है. फ्रॉड की घटना सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही हैं, इस बात से भी गलत मैसेज गया है. इसके साथ ही घोखाघड़ी की यह घटना देश में सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के तौर पर याद की जाएगी उसके बाद भी पीएनबी के वरिष्ठ अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न होना अपने आप में चौंकाने वाला है.

 

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