बलरामपुर: निजीकरण के विरोध में लामबंद हुए विद्युत विभाग के कर्मी

पूर्वांचल में चल रहे सरकारी विद्युत वितरण खंड के निजीकरण के विरोध में पूरा बिजली विभाग लामबंद नज़र आ रहा है।

बलरामपुर: पूर्वांचल में चल रहे सरकारी विद्युत वितरण खंड के निजीकरण के विरोध में पूरा बिजली विभाग लामबंद नज़र आ रहा है। जिला प्रशासन किसी तरह से कोशिश करके बिजली व्यवस्था की बहाली को सुनिश्चित करवा पा रहा है। बिजली कट जाने के बाद जहां आम लोगों को समस्याएं हो रही हैं।

वहीं, प्रदेश सरकार दावा कर रहा है कि इनके इस प्रयास से हम लोग पीछे हटने वाले नहीं हैं। वहीं लखनऊ में सोमवार देर रात तक चली बिजली कर्मचारियों व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ हुई बैठक बेनतीजा साबित हुई है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण खंड के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दो-दो हाथ को तैयार है। बिजली कर्मचारियों ने पिछले कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध जता रहे हैं। सभा में सरकार विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं और सरकार से निजीकरण का फैसला वापस लेने की बात कही जा रही है।

बिजली कर्मियों का तर्क है कि निजीकरण का जो फार्मूला आगरा और नोएडा में शुरू किया गया था। वह पूरी तरह से फेल हो गया है। अगर इसी तरह से पूर्वांचल विद्युत वितरण खंड को निजी हाथों में भेज दिया गया तो कर्मचारी सहित उपभोक्ता सड़क पर आ जाएंगे।

उन्हें महंगी दरों पर बिजली उपलब्ध होगी। जबकि कर्मचारियों को जो सरकार की तरफ से सुविधाएं मिलती है। वह पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। इस तरह से जो व्यक्ति कमाएगा केवल वही खा सकेगा। जबकि आज हम एक सरकारी नौकरी से पूरा परिवार चलाते हैं।

मीडिया से बात करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष व संयोजक इंजीनियर योगेश कुमार सिंह ने हमसे कहा कि हम पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन केवल इसलिए नहीं है कि किसी एक विभाग को निजीकरण कर देने का प्रयास किया जा रहा है।

यह इसलिए भी है क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को लाएंगे दरों पर बिजली उपलब्ध होगी, जो अभी सुविधाएं मिल रहे हैं। उसमें कटौती होगी और हर सुविधा के लिए शुल्क देना होगा। निजीकरण से न केवल बिजली महंगी हो जाएगी। बल्कि चीजें भी महंगी हो जाएंगे.

बलरामपुर में एसोसिएट इंजीनियर के पद पर काम कर रहे सुनील कुमार बताते हैं कि सरकार ने जो निजीकरण का फैसला किया है। वह सरासर गलत है। उसके ऊपर से हम लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर भी हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। आप खुद देखिए कि सरकार इस समय अपने मातहत बिजली संचालन का काम करवा रही है। लेकिन जो समस्याएं हो रही हैं। उसके कारण घंटों उपभोक्ताओं को बिजली के लिए परेशान होना पड़ता है। फाल्ट लगातार आ रही है। जो अधिकारी अपने इंजीनियरों के जरिए सही नहीं करवा पा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि हमारा साफ कहना है कि अगर निजीकरण का काम विद्युत विभाग में किया जाता है तो इससे न केवल यहां काम कर रहे कर्मचारियों को दिक्कत होगी। बल्कि उपभोक्ताओं को भी बढ़ी बिजली दरों के साथ-साथ हर सुविधा के लिए शुल्क अदा करना होगा। जो उपभोक्ताओं के हित में कतई नहीं है।

इंजीनियर सुनील सुनील कुमार ने कहा कि सरकार सोच रही है कि अगर निजी हाथों में सब कुछ देने से बेहतर हो जाएगा। तो वह जान लें कि इसका प्रतिफल कभी बेहतर नहीं हुआ है। आगरा व नोएडा हमारे सामने प्रत्यक्ष उदाहरण है। जहां पर बिजली विभाग का निजीकरण किया गया और तब से तमाम तरह की समस्याएं बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि अगर निजीकरण किया जाता है तो यहां पर काम करने वाले कर्मचारियों की न केवल नौकरी जाएगी। बल्कि उनके परिवार वाले भी सड़क पर आ जाएंगे। वहीं, अगर यहां काम करने वाले कर्मी निजी कंपनियों में काम करेंगे तब भी उन्हें ना तो इस प्रकार का वेतन मिल सकेगा। ना ही उन्हें वह सुविधाएं मिल सकेंगी, जो सरकार द्वारा हमें अभी प्रदर्शित की जा रही है.

वहीं, सीडीओ अमनदीप डुली ने बताया कि विद्युत विभाग के कर्मियों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की वजह से किसी उपभोक्ता को समस्या ना हो इसलिए सरकार द्वारा विद्युत संचालन का काम अन्य विभागों के इंजीनियरों से करवाया जा रहा है।

इस काम के लिए जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में एक इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है जिस में स्थापित कॉल सेंटर का नंबर 89 610 336 व 91 70 2773 36 पर किसी भी समय कॉल करके अपनी समस्याओं को नोट करवाया जा सकता है। जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

REPORATER-मिथलेश कुमार

 

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