कृषि कानून को लेकर राहुल गांधी ने जनता से की ये अपील, मोदी सरकार पर…

कृषि कानून को लेकर किसानों के साथ सरकार की आठवें दौर की बैठक विफल होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए कहा कि, 'नीयत साफ नहीं है जिनकी, तारीख पे तारीख देना स्ट्रैटजी है उनकी !'

कृषि कानून को लेकर किसानों के साथ सरकार की आठवें दौर की बैठक विफल होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट के जरिए कहा कि, ‘नीयत साफ नहीं है जिनकी, तारीख पे तारीख देना स्ट्रैटजी है उनकी !’ इसके पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने दो और ट्वीट किए जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘ मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए देश के अन्नदाता के साथ विश्ववासघात किया है। आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी बात कह चुके हैं। अन्नदाताओं की आवाज उठाना और उनकी मांगों का समर्थन करना हम सब का कर्तव्य है।’

तीसरे ट्वीट में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि, ‘शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा होता है। हमारे किसान बहन-भाई जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे देश भर से समर्थन मिल रहा है। आप भी उनके समर्थन में अपनी आवाज जोड़कर इस संघर्ष को बुलंद कीजिए ताकि कृषि-विरोधी कानून खत्म हों।’

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आठवें दौर की सरकार के साथ बैठक फिर से बेनतीजा रही. अगली बैठक के लिए 15 जनवरी का फिर से समय तय किया गया है. वहीं अब किसान नेताओं ने बैठक में कोई भी हल न निकलने की वजह से अपना गुस्सा जाहिर किया है. किसान नेता हनन मोल्लाह ने कहा कि हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा- तीखी बहस हुई. हमने कहा कि हम कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते हैं.मोल्लाह ने आगे कहा- हम किसी अदालत में नहीं जाएंगे. या तो ये कानून वापस लिए जाएंगे या फिर हमारी लड़ाई जारी रहेगी. 26 जनवरी को योजना के अनुसार हमारी परेड होगी.

सरकार के साथ जारी बैठक में किसान नेता बलवंत सिंह ने एक नोट लिखा है. सरकार से नाराज दिख रहे बलवंत सिंह ने लिखा कि या मरेंगे या जीतेंगे. वहीं, सूत्रों के हवाले से खबर है कि किसानों ने लंच नहीं किया.

किसानों के साथ बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून पूरे देश के लिए है न कि किसी राज्य के लिए. देश के किसान इन कानूनों को खूब समर्थन दे रहे हैं. कृषि मंत्री ने कहा कि किसान नेताओं को देश हित में आंदोलन को वापस लेना चाहिए. वहीं, किसानो़ं ने कहा कि वो कानून को वापस कराना चाहते हैं. इसके अलावा कुछ मंजूर नहीं. बैठक में सरकार ने ये भी साफ कर दिया कि वो कानून वापस नहीं लेगी.

 

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