SBI ने आरटीआई में यह जानकारी देने से किया इंकार, अरबों रुपये से जुड़ा है मामला

इंदौर। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत वित्त वर्ष 2017-18 में अपने ग्राहकों से वसूले गए कुल एटीएम व्यवहार शुल्क की जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया है. यह शुल्क एटीएम उपयोग के तय मुफ्त अवसर खत्म होने के बाद वसूला जाता है. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने आरटीआई अर्जी दायर कर एसबीआई से 31 मार्च को समाप्त ​वित्त वर्ष में उसके द्वारा अपने ग्राहकों से वसूले गए एटीएम व्यवहार शुल्क की ​तिमाही आधार पर जानकारी मांगी थी.

एसबीआई अधिकारी की तरफ से भेजा गया जवाब
इस आरटीआई अर्जी पर एसबीआई के एक आला अधिकारी ने गौड़ को 27 अप्रैल को भेजे जवाब में कहा, ‘मांगी गई उक्त सूचना हमारे पास तुरंत उपलब्ध नहीं है. यह अनुरोध आरटीआई अधिनियम की धारा सात (नौ) के तहत नामंजूर किया जाता है, क्योंकि इस सूचना का मिलान और संकलन बैंक के संसाधनों को असंगत रूप से विचलित कर सकता है.’ बहरहाल, चौंकाने वाली बात यह है कि खुद एसबीआई की तरफ से गौड़ को आरटीआई के ही तहत वर्ष 2016 और 2017 में भेजे गए अलग- अलग जवाबों में बताया जा चुका है कि उसने और उसके तत्कालीन सहयोगी बैंकों ने गुजरे वित्तीय वर्षों में अपने ग्राहकों से कितना एटीएम व्यवहार शुल्क वसूला है.

साल 2016-17 में 1556 करोड़ की हुई थी वसूली
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया, ‘यह मेरी समझ से बाहर है कि एटीएम व्यवहार शुल्क की वसूली के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देने से एसबीआई अब पीछे क्यों हट रहा है. बैंक से उम्मीद की जाती है कि वह आरटीआई कानून की मूल भावना के मुताबिक पारदर्शी रवैया अख्तियार करे.’ गौड़ ने बताया कि उनकी ही पुरानी आरटीआई अर्जियों पर एसबीआई उन्हें सूचित कर चुका है कि इस बैंक समूह (तत्कालीन सहयोगी बैंकों समेत) ने एटीएम व्यवहार शुल्क के मद में वित्त वर्ष 2016-17 में 1556.27 करोड़ रुपये, 2015-16 में 310.44 करोड़ रुपये और 2014-15 में 210.47 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली की थी.

उन्होंने कहा कि एटीएम व्यवहार शुल्क वसूली के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देने से एसबीआई के इंकार का आदेश सरासर अनुचित है. वह इस आदेश को सक्षम प्राधिकारी के सामने चुनौती देने के लिये आरटीआई अधिनियम के तहत अपील दायर करेंगे. महीने में एटीएम व्यवहार के तय मुफ्त अवसर खत्म होने के बाद इस मशीन के उपयोग पर बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों से शुल्क वसूला जाता है जिस पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) भी लगाया जाता है. इस वसूली के दायरे में गैर वित्तीय व्यवहार जैसे-एटीएम का पिन बदलना, खाते में उपलब्ध जमा राशि पता करना, मिनी स्टेटमेंट निकालना आदि शामिल हैं.

 

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