SC ने टैक्स से छूट के मामले में बदला अपना ’21 साल पुराना फैसला’

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टैक्स से छूट संबंधी अपना 21 साल पुराना एक निर्णय बदलते हुए व्यवस्था दी है कि टैक्स में छूट से संबंधित अधिसूचना में किसी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में इसका व्याख्या का लाभ शासन के पक्ष में किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 1997 में अपने निर्णय में कहा था कि टैक्स से छूट संबंधी किसी प्रावधान या अधिसूचना को लेकर अस्पष्टता होने की स्थिति में इसके लाभ का दावा करने वाले कर दाता के पक्ष में इसकी व्याख्या की जानी चाहिए. लेकिन अब 21 साल बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था को बदलते हुए कहा कि छूट से संबंधित सरकार की अधिसूचना में अस्पष्टता की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए और करदाता अस्पष्टता के लाभ का दावा नहीं कर सकता.

पीठ ने व्यवस्था दी कि सन एक्सपोर्ट मामले में न्यायालय की पहले की इस व्यवस्था को अमान्य कर दिया कि टैक्स छूट संबंधी किसी अधिसूचना को लेकर यदि दो प्रकार की व्याख्या आ रही हों तो करदाता के पक्ष में आयी व्याख्या को वरीयता दी जानी चाहिए. ताजा फैसले में न्यायालय ने कहा कि ‘इस सिद्धांत से भ्रम की स्थितियां पैदा हुईं और इसका परिणाम असंतोषजनक कानूनी व्यवस्था के रूप में आया.’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर भानुमति,न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

 

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