छत्रपति शिवाजी से जुड़ी इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान, औरंगजेब को…

छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में आखिर कौन नहीं जानता होगा. उनकी वीरता के आगे मुगल राजाओं की नींद उड़ी हुई थी.

छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में आखिर कौन नहीं जानता होगा. उनकी वीरता के आगे मुगल राजाओं की नींद उड़ी हुई थी. शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था.

शिवाजी (Shivaji Maharaj) की पैतृक जायदाद बीजापुर के सुल्तान द्वारा शासित दक्कन में थी. बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर उन्हें स्थानीय शासकों के हाथों सौंप दिया था. 16 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें विश्वास हो गया कि हिन्दुओं की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा. शिवाजी ने अपने विश्वासपात्रों को इकट्ठा कर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी. जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई. शिवाजी ने इस मौके लाभ उठाकर बीजापुर में प्रवेश करने का फैसला लिया. छोटी सी उम्र में ही उन्होंने टोरना किले का कब्जा हासिल कर लिया था.

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1659 में आदिलशाह ने अपने सेनापति को शिवाजी (Shivaji Maharaj) को मारने के लिए भेजा. दोनों के बीच प्रतापगढ़ किले पर युद्ध हुआ. इस युद्ध में वे विजयी हुए. शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखते हुए मुगल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिए भेजा. उन्होंने एक समझौते पर शिवाजी से हस्ताक्षर करने को कहा. समझौते के मुताबिक उन्हें मुगल शासक को 24 किले देने होंगे.

समझौते के बाद शिवाजी (Shivaji Maharaj) आगरा के दरबार में औरंगज़ेब से मिलने के लिए गए. वह 9 मई, 1666 ईसवी को अपने पुत्र संभाजी एवं 4000 मराठा सैनिकों के साथ मुग़ल दरबार में उपस्थित हुए, परन्तु औरंगज़ेब द्वारा उचित सम्मान न प्राप्त करने पर शिवाजी ने भरे हुए दरबार में औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा. इससे औरंगजेब ने उन्हें एवं उनके पुत्र को ‘जयपुर भवन’ में क़ैद कर दिया. शिवाजी 13 अगस्त, 1666 ईसवी को फलों की टोकरी में छिपकर फ़रार हो गए और को रायगढ़ पहुंचे. सन 1674 तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था, जो पुरन्दर की संधि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे.

 

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