…तो इसलिए कमेटी में शामिल होने से डर रहे हैं किसान
सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या के समाधान के लिए कमेटी बनाने को कहा है. कमेटी बनती है तो उसमें सिर्फ पंजाब के किसान ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान संगठनों से बातचीत की जाएगी.
प्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस समस्या के समाधान के लिए कमेटी बनाने को कहा है. कमेटी बनती है तो उसमें सिर्फ पंजाब के किसान ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान संगठनों से बातचीत की जाएगी. देश के कई राज्यों के किसानों ने इस बिल का समर्थन किया है. ऐसे में प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों को आशंका है कि उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा.
कृषि कानून को लेकर पिछले 48 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है. बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एक कमेटी गठन करने की बात कही थी जिसके लिए सरकार और किसानों के पक्षकारों से कुछ नाम देने के लिए कहा था. लेकिन अब किसानों ने कमेटी में शामिल होने से इंकार कर दिया है. किसानों का कहना है कि, वह किसी भी कमेटी का हिस्सा नहीं बनेंगे. अगर सरकार बिल को वापस नहीं लेती है तो 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी.
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किसान संघर्ष कमेटी ने कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कुछ भी कहे, हमारी मांग सिर्फ तीनों कानूनों को वापस कराने की है. अगर कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो हमारी तैयारी पूरी है और 26 तारीख को परेड निकाली जाएगी और उससे पहले 13 तारीख को लोहड़ी मनाकर कृषि बिल की कॉपी जलाएंगे और लालकिला कूच करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसान संगठन के वकील ए पी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको विश्वास हो या नहीं, हम सुप्रीम कोर्ट हैं. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकतें ( जुलूस, ढोल, नगाड़ा आदि) हो रही हैं उसे देख कर लगता है एक दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है. हम नहीं चाहते कि कोई घायल हो.
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