वो अद्भुत व रहस्यमयी मंदिर, जहां प्रसाद नहीं खून चढ़ाने पर मिलता है भक्तों को प्रवेश

पूरी दुनिया में कई प्रकार के धर्म हैं और उन धर्मों को मानने वाले अलग-अलग लोंग। धर्मों के प्रति लोग गहरी आस्था रखते हैं और इसी वजह है कि वह किसी भी राज्य के किसी भी कोने में चमत्कारिक धर्मस्थलों पर पहुंच जाते हैं।

पूरी दुनिया में कई प्रकार के धर्म हैं और उन धर्मों को मानने वाले अलग-अलग लोंग। धर्मों के प्रति लोग गहरी आस्था रखते हैं और इसी वजह है कि वह किसी भी राज्य के किसी भी कोने में चमत्कारिक धर्मस्थलों पर पहुंच जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक चमत्कारी व अनोखी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां श्रृद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश पाने के लिए प्रसाद नहीं, बल्कि खून चढ़ाना पड़ता है।

कई प्राचीन मंदिर देश की धरोहर हैं, जिनसे जुड़े रहस्य आज भी राज़ बने हुए हैं। ऐसे मंदिरों के प्रति एक ओर आपको लोगों की गहरी आस्था देखने को मिलेगी ही तो वहीं दूसरी ओर आपको मंदिरों से जुड़े चमत्कार भी नजर आएंगे। इसी वजह से यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

आपको यह पढ़ने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह बिल्कुल सच है। हम बात कर रहे हैं कि दक्षिण कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित द्रौपदी के मंदिर की, जहां किसी भगवान की नहीं, बल्कि कौरव और पांडवों की पूजा की जाती है। इस मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इसमें कभी भी द्रौपदी ने पूजा की थी।

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प्रसाद नहीं… भक्त चढ़ाते हैं खून

आपको बता दें कि देवों की नगरी उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सारनौल में स्थित एक मंदिर है, जिसे दानवीर कर्ण का मंदिर कहा जाता है। ऐसा कहते है कि यह मंदिर लकड़ियों से बना हुआ है, जिसमें पांडवों के छह छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 800 साल पहले किया गया था, जिसे धर्मराय स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि हिडिंबा मंदिर में लोग आज भी प्रसाद के रूप में अपना खून चढ़ाते हैं। कई लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है।

 

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