आजमगढ़ : जब तक बटला हाउस एनकाउंटर की जांच नहीं होती संघर्ष जारी रहेगा, सौंपा ज्ञापन

19 सितंबर को बटला हाउस एनकाउंटर के 13वी बरसी पर इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग को लेकर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिसमें बटला हाउस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग की गई है, जिला प्रशासन को सौंपा। 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट के बाद 19 सितंबर 2008 को दिल्ली में ही बटला एनकाउंटर हुआ था। जिसमें आजमगढ़ निवासी दो की मौत हुई थी और एक फरार हुआ था। इसी एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए उलेमा काउंसिल का गठन भी हुआ था और हर साल न्यायिक जांच की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा जाता है।

आजमगढ़ में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का प्रदर्शन :-

राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के पार्टी प्रवक्ता तल्हा रशादी ने कहा कि इस एनकाउंटर के बाद कांग्रेस सरकार ने अपनी कानूनी कर्तव्यों का भी पालन सही से नहीं किया। जबकि सीआरपीसी की धारा 176 के अंतर्गत किसी भी प्रकार के पुलिस टकराव में अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस घटना की मजिस्ट्रेट जांच करवाना अनिवार्य है। इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय की भी गाइडलाइन है जिसके अनुसार किसी भी एनकाउंटर की न्यायिक जांच कराया जाना अनिवार्य है।

Batla House encounter:-

इन सबके बावजूद बटला हाउस एनकाउंटर केस में आरंभ से ही कानून की धज्जियां उड़ाई गई। रशादी ने कहा कि एक बहादुर पुलिस अफसर एवं दो प्रतिभावान छात्रों की मौत हुई। परंतु ना तो कांग्रेस या भाजपा की केंद्र सरकार और ना ही चुनाव से पहले इस एनकाउंटर पर सवाल उठाने वाले अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने के बाद इस कांड की जांच करवाना मुनासिब समझा। आखिर क्या वजह है कि इस एनकाउंटर की जांच नहीं कराई जा रही।

उलेमा काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष नुरुल होदा:-

यह एनकाउंटर सिर्फ एक क्षेत्र विशेष की नहीं बल्कि पूरे देश के मुसलमानों की अस्मिता और देशभक्ति पर सवाल है। उलेमा काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष नुरुल होदा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं। पर क्या सबका साथ सबका विकास सबको न्याय के बिना संभव है। केंद्र की भाजपा सरकार न्याय करने के बजाय पिछली कांग्रेस सरकार के ही ढर्रे पर चल रही है।

बटला हाउस कांड के जरिए तथाकथित सेकुलर दलों की यूपीए सरकार जिसमें कांग्रेस प्रमुख थी और सपा व बसपा का समर्थन था एक साजिश के तहत हमारी नौजवानों के हौसले वह मनोबल को तोड़ना चाहती थी जो पढ़ लिखकर अपने देश और अपने समाज और अपने परिवार की सेवा करना चाहते हैं पर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के संघर्ष ने इस साजिश को नाकाम बना दिया और आगे भी हम यह नहीं होने देंगे।

 

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