सुबह-शाम स्मार्टफोन पर चिपके रहने से हो सकती हैं ये समस्याएं, बरतें सावधानी

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम सभी अपने अपने स्मार्टफोन पर चिपके रहते हैं और अपना पल-पल उसी के साथ व्यस्त रहते हैं। एक अध्ययन में स्मार्टफोन के उपयोग और मस्तिष्क के कैंसर के बीच संबंध का खुलासा हुआ है।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम सभी अपने अपने स्मार्टफोन पर चिपके रहते हैं और अपना पल-पल उसी के साथ व्यस्त रहते हैं। एक अध्ययन में स्मार्टफोन के उपयोग और मस्तिष्क के कैंसर के बीच संबंध का खुलासा हुआ है।

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तकनीक के इस दौर में स्मार्टफोन का उपयोग लगभग हम सभी के लिए दूसरा स्वभाव जैसा बन गया है। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम सभी अपने अपने स्मार्टफोन पर चिपके रहते हैं और अपना पल-पल उसी के साथ व्यस्त रहते हैं। हालांकि स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा भी है क्योंकि तकनीक के इस दौर में कोई भी खुद को पीछे नहीं रखना चाहता है लेकिन इसकी उपयोगिता को लेकर हुए एक शोध से पता चला है कि आपके स्मार्टफोन का नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन पर भी हो सकता है।

स्वास्थ्य को खतरा
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हेल्थ साइंसेज के अक्टूबर 2014 संस्करण में प्रकाशित एक व्यापक अध्ययन से सामने आया कि आपका स्मार्टफोन आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अध्ययन में स्मार्टफोन के उपयोग और मस्तिष्क के कैंसर के बीच संबंध का खुलासा किया। हालांकि अध्ययन के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता को दोहराया। अध्ययन के मुताबिक स्मार्टफोन का अधिक उपयोग पेसमेकर और सुनने की मशीन लगाने वाले लोगों के साथ-साथ विमान इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी बाधा पैदा करता है। वहीं बात करें परिवहन की तो शोध में खुलासा हुआ कि अधिकतर सड़क हादसों में चालक स्मार्टफोन पर किसी बात से विचलित होकर अपना ध्यान खो बैठका हो और हादसे का शिकार होता है।

आंखों की खराब होती रोशनी
साइंटीफिक रिपोर्ट में जुलाई 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन से सामने आया था कि आपके स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी आपको अंधा कर सकती है। अध्ययन के अनुसार, नीली रोशनी के संपर्क में एक कण आता है, जिसे रेटिना कहा जाता है। इससे आंखों के भीतर फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं में जहरीले रासायनिक अणु उत्पन्न होते हैं। यह एक जहर है। अगर आपके रेटिनल पर नीली रोशनी पड़ती है तो रेटिनल फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं को खत्म करना शुरू कर देता है क्योंकि झिल्ली पर मौजूद संकेतन अणु समाप्त होना शुरू हो जाते हैं। अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने कहा कि फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं आंख में पुनर्जीवित नहीं होती हैं।

समाज से कटने जैसा बर्ताव
स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ आपका स्मार्टफोन अपने परिवार के साथ बिताने योग्य महत्वपूर्ण समय भी आपसे छीन रहा है। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि वे लोग जो परिवार और दोस्तों के साथ रात का भोजन करते हुए अपने डिवाइस का प्रयोग करते हैं वे ऐसा नहीं करने वालों की तुलना में अधिक खुश रहते हैं। शोधकर्ताओं ने एक और अध्ययन में पाया कि अपने स्मार्टफोन में घुसे रहने वाले लोग समाज के अन्य लोगों के साथ बातचीत में भी विशेष रूचि नहीं रखते हैं।

 

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