UNSC में कश्मीर पर चीन-पाकिस्तान को झटका, रूस ने निभाई भारत से दोस्ती

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन की मांग पर जम्मू कश्मीर मुद्दे को लेकर बैठक खत्म हो गई है. UNSC में कश्मीर को लेकर जहां रूस भारत के पक्ष में नजर आया. वहीं चीन ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाए. हालांकि रूस ने कश्मीर को लेकर सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत का समर्थन किया है.

यूएनएससी की बैठक खत्म होने के बाद चीनी राजदूत ने कहा कि भारत ने जो संवैधानिक संशोधन किया है उससे मौजूदा स्थिति बदल गई है. चीन ने कहा कि कश्मीर में हालात चिंताजनक हैं. चीन ने कहा है कि कोई पक्ष एकतरफा कार्रवाई न करे. ऐसी एकतरफा कार्रवाई वैध नहीं है.

अकबरुद्दीन ने पाक को लताड़ा

वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है. इसमें बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत ने यह फैसला लिया है.

उन्होंने कहा कि सरकार धीरे-धीरे पाबंदियां कश्मीर से हटा रही है. अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान जिहाद की बात कर हिंसा फैला रहा है. हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम हैं. हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है. उन्होंने कहा कि बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को रोकना होगा.

दरअसल, हाल ही में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. कश्मीर मुद्दा उसके गले की हड्डी बन गया है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसने यह मुद्दा काफी बार उठाया, लेकिन उसकी एक भी दलील काम नहीं आई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी देशों (चीन को छोड़कर) ने उसे उलटे पांव लौटा दिया. उसका इस मुद्दे पर सिर्फ चीन ही साथ दे रहा है.

यह भी पहली ही बार है, जब संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था को बंद कमरे में बैठक करनी पड़ी है. वहीं कश्मीर पर यूएन के इतिहास में दूसरी बार बैठक हो रही है. इससे पहली  बैठक 1971 के मुद्दे पर हुई थी. यूएनएससी में सदस्यों की संख्या 15 है, जिसमें से 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल कुछ ही वर्षों का होता है, जबकि स्थायी सदस्य वही रहते हैं. स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस. अस्थाई देशों में बेल्जियम, कोट डीवोएर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुएनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देश हैं.

वहीं कश्मीर में जिंदगी पटरी पर लौट रही है और सोमवार से सभी स्कूल और सरकारी दफ्तर दोबारा खोल दिए जाएंगे. सड़कों पर भी चहल-पहल नजर आ रही है. हालांकि उपद्रव फैलने की आशंका को देखते हुए अभी भी हजारों लोगों को हिरासत में रखा गया है. इनमें राज्य के कई पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं.

 

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