UP में मोदी ने जीती थीं 80 में 73, 2 में 1 सीट भी नहीं बचा पाए योगी

लखनऊ। यूपी में अपनी पहली बड़ी परीक्षा में योगी आदित्यनाथ फेल हो गए हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को गठबंधन को यूपी की 80 में से 73 सीटें हासिल हुई थीं. लेकिन चार साल बाद लोकसभा की दो सीटों के लिए उपचुनाव हुए और योगी के नेतृत्व में बीजेपी दोनों सीटें हार गई.

लोकसभा के आम चुनाव के नतीजों का श्रेय पीएम मोदी को दें तो यूपी में उनका स्कोर करीब 91 फीसदी बनता है, दूसरी तरफ योगी के नेतृत्व में हुए उपचुनाव में शून्य ही हाथ लगा है. योगी के लिए सबसे शर्मनाक बात रही अपने गढ़ गोरखपुर में भी बीजेपी कैंडिडेट को जीत न दिला पाना, जबकि ऐसा देखा गया है कि गोरखपुर की जनता ‘महराजजी’ के नाम पर एकतरफा वोट देती रही है.

योगी हुए कमजोर

इस हार से खुद योगी की जमीन कमजोर हुई है. यूपी के सीएम बनने के बाद योगी का कद काफी बढ़ गया था. यहां तक कि उनके तमाम समर्थक पीएम मोदी के बाद 2024 में उन्हें पीएम पद तक पहुंचाने का सपना देखने लगे थे. योगी की लोकप्रियता का आलम यह था कि उन्हें गुजरात, त्रिपुरा से लेकर कर्नाटक तक हर जगह चुनाव प्रचार के लिए भेजा जाने लगा था. यहां तक दावा किया गया कि त्रिपुरा में योगी और नाथ संप्रदाय के उनके अनुयायियों की वजह से बीजेपी के वोटों में काफी बढ़त हुई है.

लेकिन उपचुनावों की इस हार से योगी आदित्यनाथ कमजोर हुए हैं. ऐसा माना जाता रहा है कि योगी को आरएसएस का साथ मिलता रहा है और एक लोकप्रिय युवा नेता होने की वजह से आरएसएस उन्हें काफी आगे तक ले जाना चाहता है. लेकिन अब यूपी में मिली करारी हार के बाद यह देखना होगा कि आरएसएस योगी पर दांव लगाता है या नहीं.

दोनों सीटों पर बीजेपी की हार ने सपा-बसपा गठजोड़ की सफलता को भी साबित कर दिया है. यह गठजोड़ 2019 के लोकसभा चुनाव और अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है. इसलिए यह देखना भी दिलचस्प होगा कि बीजेपी के चाणक्य अमित शाह इसकी तोड़ के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं.

 

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