UP: शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द, थोड़ी राहत

नई दिल्ली। यूपी शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन किए जाने को रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को ये राहत दी है कि अगर वह टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास कर गए हों या फिर भविष्य में पास कर जाते हैं तो राज्य सरकार सहायक टीचर के तौर पर होने वाली दो लगातार नियुक्तिों में इन पर विचार कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में हम कोई गलती नहीं देख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा मित्रों को असिस्टेंट टीचर के तौर पर नियुक्ति के मामले में कुछ छूट दी जा सकती है मसलन उम्र और उनके अनुभव पर विचार हो सकता है लेकिन शिक्षा मित्रों को असिस्टेंट टीचर के तौर पर सीध रेग्युलर नहीं किया जा सकता था। अदालत ने कहा कि बेहतर शिक्षा के लिए योग्य टीचर की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक तरफ एक लाख 78 हजार टीचर के रेग्युलर करने का दावा कानून का उल्लंघन करता है। वहीं शिक्षा के अधिकार के तहत 6 साल से 14 साल के बच्चों के अनिवार्य शिक्षा का सवाल है ऐसे में इस बात की इजाजत हो सकती है कि शिक्षा मित्रों के अनुभव और उम्र आदि में छूट पर विचार हो सकता है।

सवाल है कि किसी अधिकार के बिना शिक्षा मित्र रिलीफ के हकदार हो सकते हैं? ऐसी विशेष स्थिति में उन्हें दो बार लगातार नियुक्ति प्रक्रिया में अवसर दिया जाए। अगर वे टीईटी पास है या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार कर सकती है। इसके लिए उन्हें उम्र और अनुभव के नाम पर छूट पर विचार कर सकती है। राज्य सरकार को इस बात का भी अधिकार है कि अगर वह चाहे तो शिक्षा मित्रों को शिक्षा मित्र की तरह समायोजन से पूर्व की स्थिति में सेवा जारी रख सकती है। हाई कोर्ट के फैसले को बहाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त व्यवस्था दी है।

यूपी शिक्षा मित्रों के समायोजन रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार और शिक्षा मित्रों की ओर से अपील दाखिल की गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला दिया है और हाई कोर्ट के फैसले को सही माना है।

कुल एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्रों के भविष्य का मामला
यूपी में कुल एक लाख 78 हजार शिक्षा मित्र हैं। शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन किया गया था जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार और शिक्षा मित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। शिक्षा मित्रों की ओर से पेश वकील आर के सिंह ने बताया कि मामले में शिक्षा मित्रों एवं यूपी सरकार की ओर से दलील दी गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई गई।

शिक्षा मित्रों की दलील
शिक्षा मित्रों के वकीलों की दलील थी कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को जारी रखा जाए। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह संविधान के आर्टिकल 142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें।

यूपी सरकार की दलील
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि इस मामले में कुल 1 लाख 72 हजार शिक्षा मित्रों की नियुक्तियां रद्द की गई है और बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए हैं और ऐसे में यह मामला पब्लिक इंस्ट्रेट से जुड़ा हुआ है। साथ ही यूपी सरकार की अर्जी में कहा गया था कि एनसीटीई के 2011 के गाइडलाइंस के मुताबिक शिक्षा मित्रों को ट्रेनिंग देकर सहायक टीचर बनाया जा सकता है वैसे भी यूपी में टीचरों की कमी है। इसी आधार पर बिना टीईटी के शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई थी।

 

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