US के आंख दिखाने पर ईरान से तेल व्यापार ‘शून्य’ करेगा भारत, तैयार है ‘प्लान B’?

नई दिल्ली। अमेरिकी सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत ने अब ईरान से कच्चे तेल का आयात घटाने के संकेत दिए हैं. ऐसी स्थिति में भारत में कच्चे तेल की भारी कमी हो सकती है, हालांकि सरकार ने इसके लिए ‘प्लान बी’ की तैयारी शुरू कर दी है.

सरकार के अधिकारियों और उद्योगपतियों ने जानकारी दी कि अमेरिका की ओर से ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगाए जाने के मद्देनजर भारत वहां से कच्चे तेल की खरीद घटाने पर विचार कर रहा है.

भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात घटाने का संकेत दिया है. बदले में वह प्लान बी के तहत सऊदी अरब और कुवैत से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाएगा.

अमेरिका ने भारत, चीन सहित दुनिया के सभी देशों से चार नवंबर तक ईरान से कच्चे तेल की खरीद पूरी तरह बंद करने को कहा है. हालांकि, अभी इस पर कोई अंतिम विचार नहीं बनाया गया है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिफाइनरी कंपनियों से सतर्कता बरतने और अन्य विकल्पों पर विचार करने को कहा है.

अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि ईरान से कच्चे तेल के आयात को ‘शून्य’ पर लाया जाए, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है. मंत्रालय ने आज रिफाइनरी कंपनियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की. अगले सप्ताह इस मामले पर विदेश मंत्रालय के साथ बैठक होगी. एक अधिकारी ने कहा कि इस बारे में चीजें अगले एक हफ्ते में साफ हो सकेंगी.

इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ईरान को बदलना मुश्किल नहीं है, लेकिन इससे मार्जिन प्रभावित होगा क्योंकि उसकी वाणिज्यिक शर्तें सबसे अच्छी हैं.

साथ ही अधिकारी ने कहा कि पश्चिम एशिया विशेषकर सऊदी अरब और कुवैत से उच्च सल्फर वाला कच्चा तेल आसानी से ईरानी तेल की जगह ले सकता है. अधिकारियों का मानना है कि दक्षिणी अमेरिका और अमेरिका कुछ अन्य विकल्प हैं.

निजी क्षेत्र की 2 बड़ी कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज और रूस के रोसनेफ्ट के मालिकाना वाली न्यारा कंपनियों ने ईरान से तेल के आयात पर कमी लाना शुरू कर दिया है. भारत के सबसे बड़े बैंक ने भी ईरान के साथ तेल व्यापार छोड़ना शुरू कर दिया है.

भारत-ईरान के बीच चाबहार खास

भारत और ईरान के बीच वर्षों से अच्छे संबंध रहे हैं. चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट पर दोनों देश एक साथ काम कर रहे हैं और भारत की चुनौती इसके जरिए दोस्ती बनाए रखने की होगी. भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच चाबहार बंदरगाह पिछले साल 3 दिसंबर को खोल दिया गया. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस रणनीतिक ट्रांजिट रूट के पहले फेज का उद्घाटन किया. सामरिक नजरिये से देखा जाए तो पाकिस्तान और चीन के ग्वादर पोर्ट के रूप में चाबहार को भारत का करारा जवाब है.

चाबहार पोर्ट बनने के बाद सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो पाएंगे. 2003 में दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ था. भारत इस प्रोजेक्ट पर 500 मिलियन डॉलर निवेश करेगा.

 

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