आखिर कृषि कानूनों से किसानों को क्या है समस्या? पढ़ें पूरी खबर

एक समय था जब भारत में खाद्य संकट गहरा जाता था और लोगों के पास अनाज समय से पहले समाप्त हो जाता था.

एक समय था जब भारत में खाद्य संकट गहरा जाता था और लोगों के पास अनाज समय से पहले समाप्त हो जाता था. क्योंकि उस समय मोटे अनाज अधिक होते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब भारत में पर्याप्त मात्रा में धान-गेंहूँ की पैदावार होती है. अब ऐसे में सरकार ने तीन नए कृषि कानून ( agricultural laws) पारित किए हैं. जिनका किसानों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है. करीब 15 दिनों से किसान दिल्ली की सड़कों में आन्दोलनरत हैं.

फसल का मिल सके अधिक मूल्य

लगातार प्रदर्शन कर रहे पंजाब-हरियाणा के किसानों का कहना है कि देश को खाद्य संकट से उबारने में उनका अहम योगदान रहा है. देखा जाए तो इस बात में सच्चाई भी है. तब सरकार ने इन राज्यों को गेहूं और धान की उपज को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया था. इनके लिए  सरकार की तरफ से एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया था. जिससे उन्हें अपनी उपज का अधिक से अधिक मूल्य मिल सके.

सरकार छुड़ाना चाहती पीछा

ज्ञातव्य हो कि आज के समय में एमएसपी का सबसे अधिक लाभ पंजाब और हरियाणा के किसानों को ही मिलता है. सरकार की तरफ से इनके लिए दूसरी सब्सिडी भी सुनिश्चित की गई है. प्रदर्शन कर रहे किसानों को लगता है कि अब जब भारत खाद्य संकट से उबर गया है और गेहूं और धान की उपज इतनी होने लगी है कि इसे बाहर भेजना पड़ रहा है. तब ऐसे में सरकार एमएसपी से पीछा छुड़ाना चाहती है.

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औने-पौने दामों बिकेगी फसल

बता दें कि मोदी सरकार की तरफ से जो तीन नए किसान बिल पारित किए गए हैं, उनमें कृषि उपज की मंडी, खरीदारी और उत्पादन को नियंत्रण से मुक्त करने पर जोर है. प्रदर्शन कर रहे किसानों को लग रहा है कि इससे वो बाक़ी राज्यों के किसानों की तरह कमजोर हो जाएंगे. जिन्हें अपनी उपज औने-पौने दाम में बेचना पड़ता है. जिसको लेकर वह सड़कों पर डटे हुए हैं.

 

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