स्वास्तिक चिन्ह से आप भी बन सकते हैं धनवान, बस करना होगा ये काम

हिंदू धर्म में कई ऐसी मान्यताएं हैं जिनको लेकर कई लोगों के दिमाग में तरह-तरह के सवाल भी आते हैं. लेकिन सनातन धर्म के शास्त्रों और वेदों में कई ऐसी चीजों का जिक्र है जिनका वैज्ञानिक महत्व भी होता है.

हिंदू धर्म में कई ऐसी मान्यताएं हैं जिनको लेकर कई लोगों के दिमाग में तरह-तरह के सवाल भी आते हैं. लेकिन सनातन धर्म के शास्त्रों और वेदों में कई ऐसी चीजों का जिक्र है जिनका वैज्ञानिक महत्व भी होता है. हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. इस स्वास्तिक का भी अपना अलग महत्व है.माना जाता है कि, स्वास्तिक गणेश भगवान का एक रूप है. जिस तरह से कोई भी काम शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ठीक उसी तरह से शुभ कार्य करने से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. लेकिन इसके फायदे तभी होते हैं जब इसे नियत स्थान पर बनाया जाए. तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि, स्वास्तिक को घर के किन स्थानों पर बनाने से फायदे मिलेंगे.

दरवाजे पर बनाएं स्वास्तिक चिन्ह

वास्तु शास्त्र के अनुसार स्वास्तिक को अगर घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ बनाया जाता है तो इससे घर में मौजूद सभी दोष खत्म हो जाते हैं और घर में एक नई उर्जा का संचार होता रहता है. दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते समय ये ध्यान देना होगा कि, इसकी लंबाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए. इसके साथ ही हमेशा स्वास्तिक सिंदूर से बनाना चाहिए.

आंगन में गोबर से स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए

कहते हैं आंगन के बीचो-बीच स्वास्तिक चिन्ह अंकित करने से भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. इतना ही पितृपक्ष में घर के आंगन में गोबर से स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाए तो पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इससे घर में सुख शांति का वास होता है. और नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर निकल जाती है.

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स्वास्तिक चिह्न बनाकर उस पर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए

घर के मंदिर में स्वास्तिक बनाना बेहद ही शुभ होता है. यहां स्वास्तिक चिह्न बनाकर उस पर मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और प्रतिदिन उन मूर्तियों की पूजा करना शुभ फलदायी माना जाता है.

देवी लक्ष्मी का वास घर में स्थायी रूप से होता है

घर की मुख्य दहलीज़ का पूजन करके भी स्वास्तिक बनाया जाता है. कहते हैं इससे देवी लक्ष्मी का वास घर में स्थायी रूप से होता है. सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें और स्वास्तिक बनाए. इसे धूप दिखाकर दहलीज़ की पूजा करें. वहीं पूजा के बाद बीचों बीच स्वास्तिक बनाएं. स्वास्तिक के ऊपर चावलों की ढेरी रखें.

 

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