इमरान खान की जगह वसीम अकरम को मिली PM बनने की बधाई, पत्नी भी हुई हैरान

नई दिल्ली। पाकिस्तान को 1992 में विश्व कप दिलाने वाले कप्तान इमरान खान अपने देश के 19वें प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. पूर्व किकेटर और राजनेता इमरान खान की पार्टी पीटीआई को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) हाल ही में हुए आम चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. हालांकि, पीटीआई पूर्ण बहुमत नहीं मिला है लेकिन फिर भी इमरान खान पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के बेहद करीब हैं. हालांकि, अभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है और ना ही उन्होंने शपथ ली है, लेकिन उन्हें बधाइयां देने का सिलसिला जारी है. इमरान खान को पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनने की कवायद के बीच अचानक सोशल मीडिया पर पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान वसीम अकरम को प्रधानमंत्री बनने की बधाई मिलने लगी थी.
दरअसल, पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान की चर्चाओं के बीच वसीम अकरम का नाम बीबीसी के एक कार्यक्रम की वजह से शामिल हो गया. बीबीसी ने अपने एक कार्यक्रम में इमरान खान की जगह वसीम अकरम की तस्वीर डाल दी, जिसकी वजह सोशल मीडिया पर वसीम अकरम को बधाइयां मिलने लगीं.
इस गलती के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही ट्रोलिंग शुरू हो गई. साथ ही लोग सोशल मीडिया पर वसीम अकरम की पत्नी शाइनाइरा को भी बधाई देने लगे. एक यूजर ने शाइनरा को बधाई देते हुए लिखा- ‘आपके पति पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, बहुत-बहुत बधाई.’ इस पर शाइनाइरा ने भी बड़े मजेदार अंदाज में इस यूजर को जवाब दिया. उन्होंने लिखा- ‘अकरम ने तो मुझसे कहा था कि वे लाहौर सिर्फ वोट डालने जा रहे.’
He said he was only going to Lahore to vote ! https://t.co/s2GJMJ6VUy
— Shaniera Akram (@iamShaniera) July 26, 2018
बीबीसी ने इस प्रोगाम में इमरान खान की जगह वसीम अकरम की गेंदबाजी की फुटेज दिखा दी थी.
“Is Imran Khan, the British-educated former cricket player about to become Prime Minister of Pakistan?”
– probably, but the man in this clip is WASIM AKRAM. pic.twitter.com/Dbyj782Zw0
— Tina Daheley (@TinaDaheley) July 26, 2018
सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बाद बीबीसी ने अपनी इस गलती के माफी मांगी. बीबीसी न्यूज नाइट के ऑफिशियल अकाउंट से ट्वीट किया गया और माफी मांगी गई.
बता दें कि पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हस्तांतरण हो रहा है. वर्ष 1947 में आजादी के बाद से सेना ने अलग अलग मौकों पर तख्तापलट के जरिये देश के इतिहास में लगभग आधे समय तक शासन किया है.
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