अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट ने PM मोदी से कहा- ‘हम कीड़े-मकोड़े नहीं हैं’

पंचकूला। हरियाणा के पंचकूला में रविवार से शुरू हुए पैरा-ओलंपिक टूर्नामेंट के आयोजन में रही खामियों से नाराज अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट सुवर्णा राज ने प्रधानमंत्री को किए अपने ट्वीट में कहा है कि उन को दिव्यांग कहने से कोई भला नहीं होने वाला क्योंकि जमीन पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है.

दिव्यांग खिलाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार

आजतक से बात करते हुए सुवर्णा राज ने ‘राइट्स ऑफ पर्सन विद डिसेबिलिटी बिल 2016’ का उदाहरण देते हुए कहा कि दिव्यांग खिलाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है और उनको जमीन पर रेंगने वाले कीड़े-मकोड़ों की तरह देखा जाता है. इन खिलाड़ियों के लिए ना तो पर्याप्त शौचालय हैं और ना ही रहने की सुविधाएं नियमों के अनुकूल हैं.

@narendramodi Sir now is 11:25 PM, we two women with disabilities are standing on the road at Tau Devilal Stadium,Panchkula. There is no anyone from PCI to help us. We can’t use the toilets here because toilets are not , they people doing same & insulting us @Ra_THORe https://twitter.com/pradeeprajtweet/status/977558675899461632 

जमीन पर सोने को मजबूर दिव्यांग खिलाड़ी

सुवर्णा राज ने कहा, ‘पंचकूला में आयोजित पैरा ओलंपिक टूर्नामेंट में बहुत गड़बड़ियां हैं, जिनको देखकर मुझे 2015-16 के गाजियाबाद के टूर्नामेंट की याद आ गई. आयोजकों ने फर्श पर 300-400 गद्दे बिछा दिए हैं और एक-एक कमरे में दर्जनों लड़कियां हैं. 100 लड़कियों को सिर्फ एक बाथरूम दिया गया है, जहां पर व्हीलचेयर को ले जाना मुश्किल है. आयोजन के पहले दिन ही लड़कियां बाथरूम में घुसने के लिए एक-दूसरे से लड़ती रहीं. केंद्र सरकार ने 2016 में एक बड़ा कानून पास किया, लेकिन बुनियादी हकीकत कुछ और ही है. हमें जमीन पर रेंगने वाले कीड़े-मकोड़े समझा जाता है.’

नहीं मिले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के DG

सुवर्णा राज के मुताबिक यह सब पिछले तीन-चार साल से चलता आ रहा है. उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल को कई पत्र लिखे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यहां तक कि जब वह व्यक्तिगत रूप से उन्हें मिलने पहुंची तो उनको घंटे बैठाया गया और बाद में उनको टालने के लिए किसी दूसरे अधिकारी से मिलने की सलाह दी गई.

खिलाड़ियों को दिया जा रहा कच्चा खाना

सुवर्णा राज कहती हैं, ‘मैंने सीधे-सीधे इंकार कर दिया कि मैं इस कमरे में नहीं रहूंगी. मैं रात के 12.30 बजे तक सड़क पर रही. रात के 10:00 बजे तक मैंने शौचालय का उपयोग भी नहीं किया. जब मैं सड़क पर आ गई, उसके बाद आनन-फानन में दो अधिकारी आए और मुझे हरियाणा के पंचायत भवन में ठहरा कर चले गए. लेकिन दूसरे खिलाड़ियों का क्या होगा, उनको जो खाना दिया जा रहा है, वह कच्चा है जिसे निगलना बड़ा मुश्किल है.’

सुवर्णा की पीएम से अपील- हमारी हालात पर तरस खाइए

सुवर्णा राज ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी जी से पूछना चाहती हूं कि ऐसा पिछले कई साल से क्यों चल रहा है. क्यों खेल संघों को खामियों के चलते भी बार-बार मान्यता प्रदान की जा रही है? मोदी जी आप कम से कम एक बार तो आइए और हमारी हालत पर तरस खाइए. हमें केवल दिव्यांग नाम देने से कुछ हल नहीं निकलने वाला, जरा एक बार हमारी हालत देखिए.’

नहीं दी जा रही खिलाड़ियों को सुविधा

पंचकूला पैरा ओलंपिक में सुवर्णा राज ही एकमात्र ऐसी खिलाड़ी नहीं है, जिन्होंने पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार का खुलासा किया है. आजतक ने ऐसे कई खिलाड़ियों से बातचीत की और पाया कि आयोजकों ने पैरा औलंपिक के खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं को नजर अंदाज किया.

आयोजकों ने नहीं किया व्हीलचेयर का इंतजाम

मोहाली के दरबारा सिंह ने कहा कि उनके लिए आयोजकों ने व्हीलचेयर का इंतजाम नहीं किया, जिसके चलते उनको खाना लेने के लिए लाइन में खड़े रहना पड़ा. खिलाड़ियों के लिए तैयार किए गए मेस में उनको खाना देने के लिए कोई वेटर तक मौजूद नहीं था.

पंजाब से आए दूसरे खिलाड़ी रफी मोहम्मद के मुताबिक आयोजकों ने आनन-फानन में टूर्नामेंट को आयोजित कर दिया, लेकिन खिलाड़ियों को सुविधाओं का इंतजाम नहीं किया. उधर उत्तर प्रदेश के मेरठ से आई दुर्गेश के मुताबिक हर खिलाड़ी से 200 रुपये वसूले गए लेकिन उनको ना तो व्हीलचेयर दी गई और ना ही रहने व खाने की व्यवस्था सही थी. मेरठ से ही आई सायरा के मुताबिक आयोजन स्थल पर दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद नहीं थी.

जवाबदेही से बचते नजर आए अधिकारी

उधर जैसे ही मामला सरकार तक पहुंचा तो आयोजकों ने खिलाड़ियों के लिए तैयार किए गए मेस में कुछ कुर्सियां लगा दी और लीपापोती करते नजर आए. अधिकारियों से जब यह पूछा गया कि आखिर खिलाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों तो उन्होंने कहा कि अभी तक उनके पास कोई भी शिकायत नहीं आई है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद इन आरोपों से बचते नजर आएं और सिर्फ यह कह कर चलते बने कि आयोजन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

 

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