अखिलेश और मायावती के गठबंधन की बीजेपी ने खोज ली काट

लखनऊ। देश की संसद पर राज करने का रास्ता सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. इसीलिए सभी राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश की पिच पर फील्डिंग सेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. विपक्ष ने 2019 में घेरने के लिए यूपी में अखिलेश प्लस मायावती का प्लान बनाया है. अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि लंबी लड़ाई में सीटों की कुर्बानी के लिए भी तैयार हैं.

अखिलेश यादव ने कहा, ”ये लड़ाई लम्बी है. मैं आज कहता हूं कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से गठबंधन रहेगा और दो चार सीटें आगे पीछे रहेगी और त्याग भी करना पड़ेगा तो समाजवादी पार्टी पीछे नहीं हटेगी.” अखिलेश के बयान से ये साफ है कि समाजवादी पार्टी सीटों को लेकर यूपी में रार नहीं करनी वाली है. यानी मायावती पहले से ही सम्मानजनक सीटों की जो बात कर रही हैं उस पर अखिलेश यादव राजी दिखते हैं.

बीजेपी इस जोड़ी के सियासी तोड़ के लिए विकास का एजेंडा लेकर चुनाव में जाने की बात कर रही है. पर्दे के पीछे बीजेपी भी जातीय गणित का जो गुणाभाग कर रही है वो आने वाले दिनों में महागठबंधन के नेताओं को बेचैन कर सकता है. असल में पिछड़े वर्ग के वोटरों में सेंध लगाने के लिए आरक्षण में बदलाव की तैयारी हो रही है. यूपी सरकार ने पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति का गठन किया है. जो आबादी और सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करके सरकार को देगी, जिसमें ओबीसी की सभी जातियों की समान भागीदारी पर फोकस होगा.

जिन पिछड़ी जातियों को आरक्षण का ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा उनके लिए यूपी सरकार ये कोशिश कर रही हैं. आंकड़ों की मानें तो 9 फीसदी आबादी वाले यादवों की सरकारी नौकरियों में 132 फीसदी हिस्सेदारी है. 5 फीसदी आबादी वाली कुर्मी जाति की सरकारी नौकरियों में 242 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 14 फीसदी आबादी वाली 63 जातियों की हिस्सेदारी सिर्फ 77 फीसदी है.

योगी सरकार ने अगर पिछड़ी जातियों में समान हिस्सेदारी की व्यवस्था कर दी तो यादवों का हिस्सा नौकरी में कम हो जाएगा और जो छोटी छोटी अति पिछड़ी जातियां हैं उनका हिस्सा बढ़ जाएगा.

बीजेपी कैसे निकाली महागठबंधन का तोड़
बीजेपी का ओबीसी प्लान कामयाब हुआ तो फिर 2019 के चुनाव में यूपी में महागठबंधन का तोड़ निकल आएगा. यूपी में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीट है, यहां सबसे ज्यादा 45% आबादी ओबीसी समुदाय की है. इसमें से गैर यादव ओबीसी की संख्या 35-36% है. बीजेपी की नजर इसी 35-36% आबादी वाले वोटबैंक पर है.

2014 में गैर यादवों का वोट बीजेपी को एकतरफा मिला था, विधानसभा में बीजेपी ने 130 गैर यादव ओबीसी उम्मीदवार उतारे जिसका फायदा मिला. इसी ओबीसी प्लान के तहत बीजेपी राज्य में छोटी छोटी पार्टियों के भी संपर्क में है.

 

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