आधी रात को राहुल की छापामार पॉलिटिक्स, फिर एक बार मोदी को चौंकाया

नई दिल्ली। ऐसे वक्त में जब उन्नाव और कठुआ के रेप केस पर और इनमें गुनहगारों को बचाने की बेशर्म कोशिशों को लेकर पूरे देश में गुस्सा दिख रहा है गुरुवार आधी रात को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी टीम के साथ इंडिया गेट पर उतरे. राहुल गांधी ने देश को झकझोर कर रख देने वाले इन आपराधिक मामलों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सिस्टम की असंवेदनशीलता पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने उन्नाव केस में बीजेपी सरकार को असंवेदनशील कहा तो पीएम मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए.

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Rahul Gandhi

@RahulGandhi

Thousands of men and women stood up to be counted in the battle for justice and to protest the rising acts of violence against girls and women.

I thank each and every one of you for your support. It shall not be in vain.

इससे पहले, राहुल गांधी ने ट्वीट किया और कहा कि इन घटनाओं पर लाखों भारतीयों की तरह मेरा दिल भी दुखी है. हम महिलाओं को इस हाल में नहीं छोड़ सकते. आइए शांति और इंसाफ के लिए इंडिया गेट पर कैंडल मार्च में हिस्सा लें. राहुल की इस अपील पर आधी रात को इंडिया गेट पर युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ा. ये कांग्रेस की बदली हुई सियासत और राहुल के युवा अंदाज का एक और नजारा था. हाल के वर्षों में राहुल लीक से हटकर अपनी सियासत से युवाओं को कनेक्ट करने में तेजी से सफल हुए हैं. ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने ऐसा पहली बार किया है. यहां जानिए पांच ऐसे मौकों के बारे में जब मोदी सरकार के खिलाफ राहुल युवाओं-दलितों, किसानों के मुद्दों को उठाकर उनसे कनेक्शन जोड़ने में सफल दिखे. जहां पीएम मोदी या बीजेपी के पास पहले एक्शन का मौका था लेकिन कुछ हुआ नहीं और लोगों की आशाओं को समझते हुए राहुल ने उनकी आवाज बुलंद की.

1. उन्नाव-कठुआ केस पर देश का गुस्सा और मोदी-बीजेपी की चुप्पी

यूपी के उन्नाव में रेप के आरोपी बीजेपी विधायक पर एक्शन में देरी और पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद कार्रवाई करने में देरी से जहां बीजेपी निशाने पर थी और जम्मू के कठुआ में 8 साल की मासूम बच्ची के रेप-मर्डर के वीभत्स मामले पर देश गुस्से में था तो आधी रात को राहुल गांधी ने कैंडल मार्च कर देश के गुस्से को अपनी आवाज दी और केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया. आखिरकार शुक्रवार सुबह सीबीआई ने कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार किया लेकिन इससे पहले मोदी और योगी सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा चरम पर पहुंचा गया. सरकार की इस चुप्पी ने राहुल गांधी को क्रेडिट लेने का मौका दे दिया.

2. एससी/एसटी एक्ट, रोहित वेमुला और जेएनयू मामला

एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ जब 2 अप्रैल को दलित युवाओं ने भारत बंद का आह्वान किया तो राहुल गांधी ने उनकी मांगों का समर्थन किया और कहा कि दलित युवा अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं उन्हें सलाम. इस मामले पर कड़े विरोध के बाद मोदी सरकार को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करनी पड़ी और दलित समुदाय के सामने बार-बार सफाई देनी पड़ी कि उनकी ओर से न तो इस मामले में कोई बदलाव किए गए थे और ना ही सरकार आरक्षण व्यवस्था में बदलाव की कोई कोशिश सरकार कर रही है. यहां सरकार ने अगर पहले ही कदम उठाए होते तो राहुल गांधी को मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने का मौका नहीं मिलता. इसी तरह रोहित वेमुला और जेएनयू केस में भी राहुल गांधी ने लीक से हटकर युवाओं का समर्थन किया और मोदी सरकार को घेरने में कामयाब हुए.

3. भट्टा पारसौल और किसानों का मुद्दा

मई 2011 में यूपी में सपा की सरकार थी और ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे थे. राहुल गांधी ने ऐतिहासिक कदम उठाया. प्रशासन की रोक के बावजूद राहुल गांधी उन्हें चकमा देकर बाइक से भट्टा पारसौल पहुंचे और किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया. इसी तरह पिछले साल जब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसान मोदी सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर धरने पर थे तब भी राहुल गांधी वहीं पहुंचे थे और किसानों के मुद्दों पर आवाज बुलंद की थी.

4. टीम मोदी फैसले ले इससे पहले सॉफ्ट हिंदुत्व का सफल प्रयोग

2014 में हिंदुत्व कार्ड के साथ प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने वाली बीजेपी सरकार पर राम मंदिर, ट्रिपल तलाक समेत कई मुद्दों पर जहां कदम उठाने का दबाव है वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस की परंपरागत नीति को पीछे छोड़ते हुए सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति को अपनाया. गुजरात के चुनावों में इस फॉर्मूले को लागू करते हुए राहुल गांधी लगातार मंदिरों में जाते रहे. नतीजा सबके सामने है. गुजरात चुनाव में वे कांग्रेस को बहुमत के करीब ले जाने में सफल रहे. हालांकि, सरकार बीजेपी की बनी लेकिन 2019 से पहले सियासी दंगल में इस दांव से राहुल गांधी ने कांग्रेस को सीरियस प्रतिभागी के रूप में स्थापित कर दिया. इसी तररह कर्नाटक में भी लिंगायत दांव और तमाम मठों का दौरा कर राहुल गांधी बीजेपी की हिंदुत्व की पॉलिटिक्स की धार कमजोर करने में सफल दिख रहे हैं.

5. जब संसद में आडवाणी का हाल पूछने पहुंच गए राहुल

सियासी प्रतिद्वंदिता अपनी जगह है लेकिन राहुल गांधी ने पिछले महीने संसद सत्र के दौरान एक अलग तरह का कदम उठाया. अचानक राहुल गांधी बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का हाल-चाल पूछने पहुंच गए. वहीं एक कार्यक्रम में पीएम मोदी और संसद के गलियारे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को देखकर बिल्कुल ध्यान दिए बिना आगे बढ़ गए. बाद में कर्नाटक की रैली में राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी जब भी मिलते हैं सिर्फ हाय हेलो करते हैं किसी सीरयस मुद्दे पर बात नहीं करते. जबकि पहले के प्रधानमंत्री विपक्ष के नेताओं से बड़े मुद्दों पर बात करते थे. राहुल गांधी ने यहां ये संकेत देने की कोशिश की कि पीएम मोदी का काम का तरीका वन मैन शो जैसा है जबकि वे सभी दलों को साथ लेकर चलने की नीति पर चलते हैं.

 

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