उपचुनावों में बीजेपी को शिकस्त क्या मिली, NDA में दोस्तों के सुर ही बदल गए

नई दिल्ली। चार लोकसभा और दस विधानसभा सीटों पर नतीजे आने के बाद एनडीए के सहयोगियों ने बीजेपी नेतृत्व पर दबाव की राजनीति शुरू कर दी है . सहयोगी दलों ने बीजेपी की कार्यशैली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया . यूपी में तीन विधायकों वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने छः महीने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को ओम प्रकाश राजभर से मान-मनौवल करनी पड़ी है.

नीतीश की अलग राह

बिहार में एनडीए के सभी दलों ने अपनी अपनी जरूरतों के हिसाब से मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की अपनी पुरानी मांग को एक बार फिर से उठाना शुरू कर दिया. नीतीश कुमार ने इस संदर्भ में पार्टी नेता के सी त्यागी और पवन वर्मा के साथ चर्चा की . पवन वर्मा ने नीतीश कुमार से मुलाक़ात के बाद कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की जेडीयू की लड़ाई जारी रहेगी. नीतीश कुमार ने असम में बीजेपी के नागरिकता संशोधन बिल का भी विरोध कर उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

नीतीश कुमार अच्छी तरह जानते हैं कि केंद्र सरकार ने एनडीए की पुरानी सहयोगी टीडीपी की आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग नहीं मानी तो उसने सिर्फ मोदी सरकार से बाहर हुई बल्कि एनडीए के साथ अपने सारे रिश्ते भी खत्म कर लिए.

ये सब जानते हुए कि 14वें वित्त आयोग ने अपनी सिफ़ारिश में कहा है कि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा केवल विशेष परिस्थिति में ही दिया जाना चाहिए. ऐसे में नीतीश कुमार की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए है. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार दबाव इसलिए बना रहे हैं 2019 में उनकी पार्टी को बिहार कम से कम 15 लोकसभा सीटें मिलें.

उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति

बिहार में एनडीए की एक और सहयोगी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में लोक सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए जल्दी ही सीटों का बंटवारा हो जाए. उपेंद्र कुशवाहा ने ये  बयान देकर बीजेपी नेतृत्व के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है.

उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी पर दबाव की राजनीति के तहत ये घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी रालोसपा मध्य प्रदेश विधान सभा का चुनाव लड़ेगी. इसलिए रविवार को कुशवाहा ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के साथ ग्वालियर में किसानों की सभा को संबोधित किया.

जेडीयू से बाहर आने के बाद उपेंद्र कुशवाहा की पूरी राजनीति नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के खिलाफ रही है. इसलिए आरजेडी को छोड़ बिहार में एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. तब रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस को अपने नए मंत्रिमंडल में जगह दी थी, लेकिन एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के किसी भी विधायक को मंत्री मंडल में जगह नही दी.

आरजेडी से गलबहियां

तब से उपेंद्र कुशवाहा अपना अपमान सह कर भी एनडीए में सिर्फ़ इसलिए बने हुए थे कि वे एनडीए से बाहर जाने के सही वक़्त का इंतज़ार कर रहे थे. उपचुनावों के नतीजों के साथ ही उन्होंने एनडीए से बाहर जाने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं. वह ये अच्छी तरह से जानते हैं नीतीश कुमार के एनडीए में उनकी दाल ज्यादा गलने वाली नहीं है. वैसे भी पिछले दिनों उनके ‘शिक्षा सुधार संकल्प महासम्मेलन’ के मंच पर आरजेडी नेता नज़र आते रहे हैं .

सत्ता के साथी रामविलास पासवान

रामविलास पासवान भी राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. ऐसे मौक़े पर वे बीजेपी पर दबाव बनाने में अपने सहयोगियों से कैसे पीछे रह सकते हैं. शनिवार को उन्होंने अपने बेटे चिराग पासवान, अपने दो भाइयों रामचंद्र पासवान और पशुपति कुमार पारस के साथ ताजा हालात पर मंथन किया.

रविवार को रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पसवान ने बीजेपी अध्यक्ष से मुलाक़ात कर SC/ST एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण संबंधी बिल को जल्दी लाने की मांग की. रामविलास पासवान ने भी बिहार को विशेष राज्य के दर्जा दिए जाने की नीतीश कुमार की मांग को जायज़ ठहराया है.

सभी घटनाक्रमों को देखते हुए बिहार बीजेपी के प्रभारी और पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव ने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष नित्यानंद राय से दिल्ली में 2 घंटे तक मुलाक़ात कर  ताज़ा राजनैतिक हालत पर चर्चा की.

एकजुटता का प्रदर्शन

उसके बाद भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय ने अमित शाह को पूरे राजनैतिक घटनाक्रम की जानकारी दी. उसके बाद अमित शाह के निर्देश पर 7 जून को बिहार में एनडीए के सभी सहयोगियों की बैठक बुलाई है. बीजेपी ने महाभोज का निमंत्रण रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, भूपेंद्र यादव, सुशील मोदी, उपेंद्र कुशवाहा, नित्यानंद राय, अरुण कुमार समेत सभी सांसद, विधायक, विधान पार्षद, प्रदेश पदाधिकारी और सभी घटक दलों के जिलाध्यक्षों को भी भेजा है. इसके जरिये बीजेपी बिहार में एनडीए की एकजुटता का प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी.

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और रामविलास पासवान बढ़ती नजदीकियां बीजेपी के लिए आने वाले समय में बड़ी परेशानी आने के संकेत हैं. क्योंकि नीतीश कुमार ने एक ही झटके ने पासवान जाति को महादलित में शामिल कर बिहार की जातिगत राजनीति में एक बड़ा भूचाल ला दिया है. यही कारण है कि आज नीतीश कुमार और रामविलास पासवान बीजेपी के ख़िलाफ़ हर क़दम पर एक दूसरे का साथ दे रहे हैं.

मोदी की मुश्किल

भले ही बीजेपी ने 7 जून को बिहार में एनडीए की एकजुटता के लिए महाभोज दिया हैं.  मगर इतना तय है कि इस महाभोज के बाद दूरियां कम होने की बजाय 2019 के महासमर के लिए मोलभाव शुरू होंगे. पीएम मोदी और अमित शाह ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि नीतीश कुमार और रामविलास पासवान किसी के सगे नहीं हैं. वे सिर्फ सत्ता के सगे और साथ हैं.

नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के लिए बीजेपी के नेता कहते रहे हैं, ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नीतीश कुमार ने ठगा नहीं’ और ‘पासवान किसी के नहीं सत्ता के साथ हैं.’ ऐसे में पीएम मोदी और अमित शाह के लिए  2019 के चुनाव से पहले एनडीए का कुनबा बढ़ना तो दूर की बात है उसे संभालना मुश्किल हो चला है. वैसे भी एक पुरानी कहावत है, ‘राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त होता है और न कोई स्थाई दुश्मन’. राजनीति के जानकार कहते हैं कि राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी मजबूरियों और ज़रूरतों के हिसाब से तय होती है.

 

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