उपसभापति का चुनाव तय करेगा बीजद, टीडीपी का रुख और महागठबंधन की रूरपेखा

राज्‍यसभा के उपसभापति के चुनाव में बीजद और टीडीपी का रोल काफी अहम हो सकता है। कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों की निगाह और उम्‍मीद इनसे लगी है।

नई दिल्‍ली। पिछले दिनों उपचुनावों में मिली कामयाबी से विपक्ष काफी उत्‍साहित है। यही वजह है कि वह इस कामयाबी को अब आगे भी बनाए रखना चाहता है। इसके लिए सबसे बड़ी कुर्बानी देने के लिए कांग्रेस भी तैयार दिखाई दे रही है। दरअसल, यहां पर मुद्दा राज्‍यसभा के उपसभापति को लेकर जुड़ा हुआ है। उपसभापति का पद एनडीए खेमे में जाने से रोकने के लिए कांग्रेस विपक्षी खेमे के वरिष्ठ सदस्य की उम्मीदवारी का समर्थन करने से भी परहेज नहीं करेगी। इसके लिए उसने कवायद भी शुरू कर दी है, जिसके तहत बीजू जनता दल से बातचीत किए जाने की खबर है।

इन पर है नजर 
उपसभापति के पद को एनडीए के खेमे में जाने से रोकने के लिए फिलहाल पूरा विपक्ष एकजुट दिखाई दे रहा है। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस भी इसको लेकर कवायद कर रही हैं। बताया जा रहा है कि इस क्रम में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बीजद को विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए राजी करने की कोशिश की है। विपक्षी खेमे का दावा है कि बीजद से पहले दौर की शुरुआती चर्चा सकारात्मक रही है। इसी तरह विपक्षी खेमा हाल में ही एनडीए छोड़ने वाले टीडीपी नेता आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन मिलने को लेकर भी आश्वस्त नजर आ रहे हैं।

मानसून सत्र में होगा चुनाव 
आपको बता दें कि राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में मानसून सत्र में नये उपसभापति का चुनाव होना तय है। राज्यसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी तो बन चुकी है मगर यहां पर एनडीए बहुमत में नहीं है। वहीं ये भी तय माना जा रहा है कि अन्नाद्रमुक सरकार का समर्थन करेगा। इस लिहाज से इस पद के लिए वही चुना जाएगा, जिसको बीजद और टीडीपी का साथ मिलेगा। लिहाजा ये कहना गलत नहीं होगा कि इस लड़ाई में ये दोनों पार्टियां कारगर भूमिका निभाएंगी। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की ओडिशा में आक्रामक सियासी तैयारी को देखते हुए विपक्षी खेमा उम्मीद कर रहा है कि बीजद अब एनडीए को किसी तरह का समर्थन नहीं देगा।

दे सकते हैं कुर्बानी 
हालांकि अनौपचारिक चर्चा में कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने शुक्रवार को माना कि बीजद या टीडीपी सरीखे दलों का समर्थन हासिल करने के लिए पार्टी को कुर्बानी देनी पड़ सकती है। बीजद या टीडीपी सीधे कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन करेंगे इसको लेकर संदेह है, जबकि ममता की पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करने में इन्हें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन सत्‍ताधारी पार्टी किसी भी सूरत से इसको हलके से लेने को राजी नहीं है। राज्‍यसभा में बहुमत न होने के बाद भी भाजपा यह तय कर चुकी है कि इस पद के लिए वह अपना उम्‍मीदवार उतारेगी। यदि यहां पर भाजपा ऐसा करती है तो वह अपने लिए जरूरी नंबर जुटाने का भी प्रयास जरूर करेगी। इस लिहाज से भी यहां पर बीजद और टीडीपी की भूमिका अहम हो सकती है।

इस चुनाव से पता लगेगी विपक्ष की एकजुटता 
यहां पर ये भी ध्‍यान रखना जरूरी हो जाता है कि बीजद पहले एनडीए के साथ रह चुका है। वहीं ममता को भी एनडीए में बड़ी भूमिका मिल चुकी है। ऐसे में यह लड़ाई और दिलचस्‍प हो सकती है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि आने वाले समय में दोनों ही राज्‍यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। भाजपा की लगातार जीत को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि इन दोनों पार्टियों का रुख किसी भी तरफ जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ यदि विपक्ष की एकजुटता की बात करें तो पहली बार यह एकजुटता कर्नाटक में कुमारस्‍वामी के शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिली थी। लेकिन यह भी बात सच है कि विपक्ष में शामिल पार्टियों के अपने-अपने मंसूबे, चुनौतियां और महत्‍वकांक्षाएं हैं। यही वजह है कि जानकार इस विपक्ष की एकजुटता को ज्‍यादा लंबा नहीं मान रहे हैं। बहरहाल, उपसभापति के चुनाव में यह काफी कुछ साफ हो जाएगा कि जिस एकजुटता का दावा विपक्ष कर रहा है वह कितना मजबूत है। यदि इस चुनाव में विपक्ष द्वारा खड़ा किया गया संयुक्‍त उम्‍मीदवार जीत जाता है तो आने वाले भविष्‍य के लिए कुछ उम्‍मीद जरूर की जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बनने का भी रास्‍ता साफ हो सकता है।

ये है राज्‍यसभा का गणित 
गौरतलब है कि राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। इसके उपसभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल इसी महीने के अंत तक खत्म होने जा रहा है और उस पद पर चुनाव मानसून सत्र में कराए जाने की उम्मीद है। जुलाई मध्य में इसके लिए चुनाव हो सकता है। इसके अलावा चार मनोनीत सदस्‍यों का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। इस लिहाज से चुनाव के समय कुल 241 सदस्य होंगे। ऐसे में राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव जीतने के लिए 122 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। विपक्ष अपनी जीत के लिए जिन दो पार्टियों पर नजरें गड़ाए हुए है, उनमें से बीजद के राज्यसभा में 9 सदस्य हैं, जबकि टीएमसी के पास 13 सदस्य हैं। कहा ये भी जा रहा है कि बीजद विपक्ष के संयुक्‍त उम्‍मीदवार का समर्थन करने के लिए अनौपचारिक रूप से तैयार हो गया है। बीजद का रोल हमेशा से ही काफी डामाडोल रहा है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में बीजेडी ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। वहीं उपराष्ट्रपति के चुनाव में उसने विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी का समर्थन किया था।

 

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button