ऑक्सफोर्ड में रोज सिर्फ एक घंटे ही पढ़ते थे दुनिया को चौंकाने वाले स्टीफन हॉकिंग

दुनिया के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और कॉस्मोलॉजिस्ट स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया. हॉकिंग के बच्चों लुसी, रॉबर्ट और टिम ने बयान जारी कर बताया कि हमें बहुत दुख है कि हमारे प्यारे पिता हमें छोड़ कर चले गए. हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन नाम की लाइलाज बीमारी थी.

8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में जन्में हॉकिंग ने बिग बैंग और ब्लैक होल्स के बारे में वो सब दुनिया को बताया जो उनसे पहले तक कोई नहीं जानता था. हॉकिंग के पास कुल 12 मानद डिग्रियां थी.

हॉकिंग उस समय चर्चा में आए जब 1988 में उनकी पहली किताब ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइमः फ्रॉम बिग बैंग टू ब्लैक होल्स’ मार्केट में आई. इस किताब की 1 करोड़ से भी ज्यादा प्रतियां बिकी थी. यह दुनिया भर में साइंस की से जुड़ी सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक है.

हॉकिंग को जो बीमारी थी उसमें लोग सिर्फ 2 से 5 साल ही जी पाते हैं

1963 में प्रोफेशर हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन बीमारी हो गई. इस बीमारी से उनका शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया. उनका दिमाग छोड़ कर शरीर के अन्य हिस्से कार्य नहीं करते थे.

1963 में उन्हें जो बीमारी हुई उससे लोग 2 से 5 साल ही जिंदा रह पाते हैं. इस बीमारी के होने के बाद हॉकिंग को डॉक्टरों ने कहा था कि बमुश्किल दो साल ही जिंदा रह पाएंगे लेकिन उन्होंने इसे झुठलाते हुए दशकों का सफर तय किया. शायद वो एकमात्र इंसान थे जो इस बीमारी के होने के बावजूद इतने समय तक जिंदा रह सके.

प्रोफेसर हॉकिंग के जीवन पर 2014 में फिल्म भी बनी जिसका नाम था ‘द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’. यह उनकी पहली पत्नी के जीवनी पर आधारित था. प्रोफेसर हॉकिंग के किरदार को निभाने वाले अभिनेता एडी रेडमेन को बेस्ट एक्टर का ऑस्कर भी मिला था.

कॉलेज के दिनों में रोज 1 घंटे ही पढ़ते थे हॉकिंग

ऑक्सफॉर्ड में हॉकिंग मैथ पढ़ना चाहते थे लेकिन उनके पिता की चाहत मेडिकल की पढ़ाई कराने की थी. जब वो मैथ्स की पढ़ाई नहीं कर पाए तो उन्होंने फिजिक्स को चुना. कहा जाता है कि वो कॉलेज के दिनों में लेक्चर बहुत कम अटेंड किया करते थे. उनका ज्यादातर समय बोर्ड गेम खेलने में ही गुजरता था.

उन्होंने अपने तीन साल की उस पढ़ाई के दौरान मात्र 1000 घंटे ही अध्ययन पर खर्च किया. इसका मतलब हुआ, रोज लगभग 1 घंटे.

इस तरह से पढ़ाई करने के बावजूद उनकी गिनती अच्छे विद्यार्थियों में होने लगी. जब उन्होने अपना फाइनल थीसिस जमा किया तब उसे फर्स्ट क्लास ऑनर्स और सेकेंड क्लास ऑनर्स के बीच रखा गया.

जब हॉकिंग को पता चला की उनके डिग्री को फर्स्ट क्लास ऑनर्स या सेकेंड क्लास ऑनर्स में से कोई एक तय करने के लिए ओरल परीक्षा देनी होगी तब उन्होंने परीक्षकों से कहा था कि अगर आपने मुझे फर्स्ट क्लास दिया तो मैं कैंब्रिज जाऊंगा और अगर आपने मुझे सेकेंड क्लास दिया तो मैं ऑक्सफॉर्ड में ही रहूंगा, तो मैं उम्मीद करता हूं कि आप मुझे फर्स्ट क्लास ही देंगे.

उनके उम्मीद के मुताबिक, हॉकिंग को फर्स्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री मिली और वो आगे की पढ़ाई के लिए 1962 में कैंब्रिज में दाखिला ले लिया.

1968 में हॉकिंग ने की थी कॉस्मोलॉजी में पीएचडी

1968 में कॉस्मोलॉजी में पीएचडी करने के बाद हॉकिंग ने कैंब्रिज को छोड़ा नहीं. उन्होंने यहां पर ब्रह्मांड से जुड़े कुछ मूल सवालों की खोज करने लगे. एक दशक बाद उन्होंने कॉस्मोलॉडी और थ्योरेटिकल फिजिक्स पर बेहद ही खास रिपोर्ट निकाली. इन रिपोर्ट्स ने उन्हें वैज्ञानिकों की दुनिया का बेताज बादशाह बना दिया.

अपने इलाज के दिनों को याद करते हुए एक बार हॉकिंग ने कहा था कि जीवन में चाहे कितनी भी कठीनाई क्यों न हो. आप हमेशा कुछ कर सकते हैं और सफल भी हो सकते हैं. बस आपको हार नहीं माननी है. इसी जज्बे के साथ उन्होंने ब्लैक होल्स और बिग बैंग थ्योरी पर इतना काम किया जो कभी नहीं हुआ था.

हॉकिंग ने एक बार कहा था कि यह ब्रह्मांड हमारे लिए कुछ खास नहीं होता अगर हमारे चाहने वाले या प्यार करने वाले यहां नहीं होते. अब ब्रह्मांड भी है उनके चाहने और प्यार करने वाले भी है लेकिन हमारे बीच प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग नहीं हैं.

 

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