ऑपरेशन अंडरग्राउंड: नार्थ कोरिया की जमीन के नीचे दफ्न है एक बड़ा राज!

नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि अमेरिका ने इराक पर हमला करके सद्दाम हुसैन का तख्ता पलट क्यों किया था? क्यों वो सीरिया से राष्ट्रपति बशर अल असद को हटाने पर तुला हुआ है. इसका जवाब अगर आप ज़मीन के ऊपर ढूंढेंगे तो नहीं मिलेगा. जवाब जानना है तो ज़मीन के नीचे मिलेगा. क्योंकि ये सारा खेल ही ज़मीन के नीचे खेला जा रहा है. ऊपर जो होता हुआ आपको दिख रहा है वो बस दिखावा है. खबरों के मुताबिक इसी साल मई में डोनाल्ड ट्रंप और मार्शल किम जोंग उन शायद पहली बार आमने-सामने मिलने जा रहे हैं.

पहले धमकी, अब मुलाकात

अब तक दोनों सिर्फ बम की बात कर रहे थे. किसके पास कितना बड़ा और कितना खतरनाक बम है. किसने उस बम का रिमोट कहां रखा हुआ है. कौन पहले बम के रिमोट का बटन दबाएगा. मगर बम और तबाही के बाहर अब अचानक उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच रिश्तों को लेकर एक नया और बड़ा ट्विस्ट आ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के मार्शल किम जोंग उन एक दूसरे से मुलाकात करने को राज़ी हो गए हैं. खबर है कि ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाकात मई में अमेरिका में हो सकती है. खास बात ये है कि इस मुलाकात की पहल खुद मार्शल किम जोंग उन ने की है.

बातचीत के लिए ट्रंप भी राजी

खबर है कि किम जोंग उन की बातचीत की इस दावत को अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया है. खबरों के मुताबिक दक्षिण कोरिया में विंटर ओलंपिक खेलों के आयोजन के बाद उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच इसी हफ्ते हुई आपसी बातचीत के बाद ही इस नई पहल की शुरूआत हुई है. खबरों की मानें तो उत्तर कोरिया ने भविष्य में और परमाणु बम और मिसाइल टेस्ट न करने का भी आश्वासन दिया है.

मई में मिलेंगे किम और ट्रंप

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुंग ईयू-योंग ने घोषणा की है कि व्हाइट हाउस में मई में ट्रंप और किम जोंग-उन के बीच मुलाक़ात होगी. हालांकि किम जोंग उन को करीब से जानने वाले लोग अब भी इस मुलाकात को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं.

ज़मीन के नीचे असली खेल

वैसे क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर अमेरिका को नॉर्थ कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन से दिक्कत क्या थी? क्यों अमेरिका बार-बार उत्तर कोरिया को धमका रहा था? क्यों उसने कोरियाई सरहद के करीब जंगी बेड़ों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था? तो इसका जवाब अगर आप ज़मीन के ऊपर ढूंढेंगे तो नहीं मिलेगा. क्योंकि सारा खेल ज़मीन के नीचे यानी अंडर गाउंड का है.

खजाने के लिए जंग

अमेरिका ने पहले इराक से सद्दाम हुसैन का तख़्तापलट किया. फिर सीरिया से असद को हटाने की कोशिश की और नॉर्थ कोरिया में किम से जंग की तैयारी की जा रही है. दूसरों के देशों में घुसकर लोकतंत्र लागू कराने के लिए आखिर अमेरिका इतनी जद्दोजहद क्यों करता है. क्यों उसे दूसरे देशों की जनता की फिक्र सताती है. क्या वाकई इतना हमदर्द है अमेरिका. हालांकि बहुत से ऐसे देश हैं जहां लोग अभी भी लोकतंत्र के लिए तरस रहे हैं. उन देशों से अमेरिका की दांत काटी दोस्ती भी है. तो फिर इस मेहरबानी की सच्चाई क्या है. ज़मीन के ऊपर से अगर देखेंगे तो लगेगा जैसे अमेरिका मसीहा है. मगर लोग ऐसा इल्ज़ाम लगाते हैं कि अमेरिका ने जंग ज़मीन के ऊपर सत्ता बदलने के लिए बल्कि ज़मीन के नीचे छिपे खज़ाने लिए लड़ी है. हालांकि ये तमाम आरोप ही हैं.

ये है असली ‘अंडरग्राउंड’ कहानी

आइये जानते हैं कि पहले इराक, फिर सीरिया और अब नॉर्थ कोरिया की ज़मीनों के नीचे आखिर ऐसा क्या है. जिसकी वजह से अमेरिका जैसे देश पर ये इल्ज़ाम लगाने की कोशिश हो रही है. इराक के लिए लिए पेट्रोल. सीरिया के लिए गैस और नॉर्थ कोरिया के लिए खनिज पदार्थ उनकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. अगर उनसे ये ही छीन लिया जाए तो उन्हें सड़क पर आते देर नहीं लगेगी. और जो हासिल कर ले उसे रईस होने में देर नहीं लगेगी. सीरिया और इराक से अलग अमेरिका ने फिलहाल अपनी सारी ताकत नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की नकेल कसने में लगा रखी है. अमेरिका आरोप लगाता है कि किम जोंग उन हथियारों के लिए अपनी सनक और अय्याशी के लिए वहां की जनता को भूखा मार रहा है. हालांकि नॉर्थ कोरिया उसे सिर्फ और सिर्फ अमेरिकी प्रोपेगैंडा बताता है.

नार्थ कोरिया की जमीन के नीचे सोने का भंडार

फिलहाल तनाव इतना था कि परमाणु जंग की आशंका वाले हालात बन चुके थे. इतना ही नहीं अमेरिका ने अपना जंगी बेड़ा कोरियाई पेनिनसुला में उतार रखा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ अमेरिका या उसके सहयोगी ही नहीं बल्कि चीन जैसे कई देशों की नज़र उत्तर कोरिया की जमीन में खनिज पदार्थों के रूप में दफ्न सोने पर है. कुछ इस सोने को दोस्त बनकर तो कुछ कब्ज़ा कर के हासिल करना चाहते हैं. आपको बता दें कि ये ऐसे अंडरग्राउंड रिसोर्सेज़ हैं, जिन्हें अभी छुआ भी नहीं गया है. इन्हें निकालने की सही तकनीक का इस्तेमाल किया गया तो रातोरात नार्थ कोरिया इतना अमीर हो जाएगा कि कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता. वहां 200 से ज़्यादा बेशकीमती खनिज हैं.

किम को है सोने की ताकत का अहसास

अब ज़रा इन 200 से ज़्यादा बेशकीमती मिनिरल्स की अंदाज़न कीमत भी सुन लीजिए. अगर इन्हें प्रॉपर तरीके से निकाला जाए तो इनकी कीमत होती है करीब 4,760 खरब रुपए. ये इतनी रकम है कि अगर इसे बांटा जाए तो इस धरती पर रहने वाले हर इंसान के खाते में 67 हजार रुपए आएंगे. जानकार आरोप लगाते हैं कि नॉर्थ कोरिया के बारे में दुनिया सिर्फ उतना ही जानती है जितना अमेरिका बताना चाहता है. इस सच्चाई को हमेशा दुनिया से छिपा कर रखा गया कि उत्तर कोरिया की एक सच्चाई ये भी है. जो रातों रात उसकी दुनिया बदल सकती है. ज़ाहिर है पैसों और तकनीक की कमी की वजह से किम जोंग उन अपनी ही धरती पर गड़े इस सोने को बाहर निकाल नहीं पा रहा है. मगर उसे अपनी इस ताकत का अहसास है.

 

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