कब-कब ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ का सहारा लिया है देश के राजनेताओं ने…

नई दिल्ली। जब भी चुनाव परिणाम त्रिशंकु विधानसभा पेश करते हैं, राजनैतिक उठापटक लगभग तय ही होती है… अब कर्नाटक में BJP के नेता बीएस येदियुरप्‍पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है, और राज्‍यपाल वजूभाई वाला ने सदन में बहुमत साबित करने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 60 घंटे कर दिया, और अब शनिवार को शाम 4 बजे फ्लोर टेस्ट होगा… इस वक्त राज्‍य में जोड़तोड़ की राजनीति के जारी होने की अटकलें ज़ोरों पर हैं, और इस संभावित जोड़तोड़ से बचने के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने विधायकों को एक साथ एक जगह पर रखे हुए हैं. JDS ने अपने विधायकों को एक होटल में रखा है, जबकि कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए ईगलटन रिसॉर्ट के 120 कमरे बुक कर लिए हैं, और सभी पार्टी विधायक इसी रिसॉर्ट में टिके हुए हैं. इससे पहले, बीएस येदियुरप्‍पा को सरकार गठन के न्योते के खिलाफ 16 मई की रात को कांग्रेस और JDS सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे, और आधी रात को ही सुनवाई हुई थी, लेकिन कोर्ट ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, और मामले पर सुनवाई के लिए 18 मई का समय निर्धारित किया था…. वैसे, अब शनिवार शाम तक विधायकों को अपने-अपने साथ बनाए रखने की चुनौती कांग्रेस और JDS दोनों के सामने है…

होटलों और रिसॉर्ट में ले जाकर विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने की ऐसी कोशिशें भारतीय राजनीति में नई ‘परम्परा’ नहीं है, और कई दशकों से ऐसा होता आया है… सो आइए, आज आपको बताते हैं, कर्नाटक से पहले कहां-कहां और कब-कब ऐसा किया गया…

हरियाणा (1982)
1982 में हरियाणा में BJP और कदरन नई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के गठबंधन को नज़रअंदाज़ करते हुए राज्यपाल जीडी तापसे ने कांग्रेस नेता भजनलाल को सरकार गठन का न्योता दिया, जबकि उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था. सुनने में आता है कि इस बात से गुस्साकर INLD नेता देवीलाल ने राज्यपाल को कॉलर से पकड़ लिया था, और इसके बाद वह अपने और BJP के सभी 48 विधायकों को लेकर दिल्ली के एक होटल में आकर ठहरे थे… दिलचस्प बात यह है कि इन हालात में बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में पानी के पाइप के ज़रिये होटल से एक विधायक भाग गया था, और राज्य में कांग्रेस ने ही सरकार बनाई थी…

कर्नाटक (1983 से 2011)
विधायकों को होटलों और रिसॉर्ट में ले जाकर छिपा देना देश के कई राज्यों में होता रहा है, लेकिन सबसे ज़्यादा बार ऐसा किया जाने के मामले में कर्नाटक ही शीर्ष पर है… कर्नाटक में ऐसा 1983 में रामकृष्ण हेगड़े के साथ शुरू हुआ था, जो अपनी सरकार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों भंग किए जाने से बचाने की कोशिश में थे, और फिर ऐसा ही 2004, 2006, 2008, 2012 में भी हुआ… इसी बीच 2009 से 2011 के बीच बीएस येदियुरप्पा ने भी अपनी सरकार को बचाने के लिए ऐसा ही किया था… वर्ष 2009 से 2011 के बीच येदियुरप्पा कई बार BJP के लगभग 80 विधायकों को लेकर बेंगलुरू के करीब बने एक रिसॉर्ट में जाकर ठहरे थे…

आंध्र प्रदेश (1984)
तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ओपन हार्ट सर्जरी के लिए अमेरिका गए थे, और पीछे से राज्यपाल ठाकुर रामलाल ने एन भास्कर राव को CM बना दिया… लौटने के बाद एनटीआर तेलुगूदेशम पार्टी के विधायकों को लेकर बेंगलुरू के एक रिसॉर्ट में गए, और फिर वहां से उन्हें दिल्ली ले गए, और आंध्र की सरकार गिर गई… इसके बाद एनटीआर दो महीने के भीतर फिर मुख्यमंत्री बन गए…

गुजरात (1995)
शंकरसिंह वाघेला ने 1995 में 47 विधायकों को अपने पाले में लेकर BJP से बगावत कर दी थी, और उन्हें लेकर मध्य प्रदेश के एक होटल में सात दिन तक टिके रहे थे… हालांकि सरकार गिरी नहीं थी, और एक समझौते के तहत केशूभाई पटेल के स्थान पर वाघेला समर्थक सुरेश मेहता को मुख्यमंत्री बना दिया गया था…

उत्तर प्रदेश (1998)
राज्यपाल रोमेश भंडारी ने 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान UP में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली BJP सरकार को बर्खास्त कर तत्कालीन कांग्रेस नेता जगदम्बिका पाल को मुख्यमंत्री बना दिया था… फ्लोर टेस्ट होने तक कल्याण सिंह अपने विधायकों को एक अनजान जगह पर ले गए थे, और फ्लोर टेस्ट के वक्त लौटकर जीत हासिल की… कल्याण सिंह ने इस मामले में राज्यपाल के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती भी दी, और जीते…

बिहार (2000)
नीतीश कुमार को सरकार बनाने का न्योता मिल जाने के बाद कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने विधायकों को पटना में ही एक होटल में भेज दिया था, ताकि उन्हें लालच न दिया जा सके… सात दिन CM की गद्दी पर बैठने के बाद नीतीश कुमार विश्वासमत हार गए… इसी तरह 2005 में नीतीश की मदद के लिए लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के विधायकों को भी जमशेदपुर के एक होटल में रखा गया था…

महाराष्ट्र (2002)
कहीं शिवसेना-BJP गठबंधन उनके विधायकों को अपने साथ न मिला लें, इस डर से कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख उन्हें बेंगलुरू के एक लक्ज़री रिसॉर्ट में ले गए थे… यही नहीं, देशमुख विधायकों से मिलने के लिए खुद भी बेंगलुरू गए थे…

तमिलनाडु (2017)
जब 2017 में ओ पन्नीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा, और AIADMK नेता वीके शशिकला पर दबाव डालने का आरोप लगाया, तो शशिकला ने अपने वफादार विधायकों को चेन्नई के किनारे बने एक रिसॉर्ट में भेजा था…

 

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