कभी मुन्ना बजरंगी ने बचाई थी उसकी हत्या के आरोपी सुनील राठी की जान

लखनऊ। माना जाता है कि अपराधी का कोई दीन, ईमान व धरम नहीं होता है। इसको साबित किया, बागपत जेल में बंद सुनील राठी ने। सुनील राठी ने उस मुन्ना बजरंगी की जान ले ली, जिसने कभी उसकी जान बचाई थी। इसे समय का फेर कहते हैं। एक वक्त वह था जब सुनील राठी को जान बचाने के लाले पड़े थे, तब मुन्ना बजरंगी ने पूर्वाचल में शरण दिला उसकी जान बचाई थी और सोमवार को राठी ने ही प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की जान ले ली।

पिता नरेश राठी की मौत का बदला लेने को जून 2000 में सुनील राठी ने टीकरी में दो लोगों की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा। इस घटना के दो माह बाद ही दिल्ली में एक शोरूम में लूटपाट तथा तीन लोगों की हत्या कर दी। रंगदारी और हत्या समेत एक के बाद एक सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के कारण उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड आदि की पुलिस उसके पीछे हाथ धोकर पड़ी थी। विरोधियों की मुखबिरी और पुलिस का शिकंजा कसता देख अपनी जान बचाने को सुनील राठी ने पूर्वाचल की राह पकड़ी।

सूत्रों की मानें तो करीब दस साल पूर्व बागपत के ही कुख्यात बदमाश की मार्फत सुनील राठी कुख्यात मुख्तार अंसारी तथा मुन्ना बजरंगी के संपर्क में आया। मुन्ना बजरंगी ने इलाहाबाद में गुर्गे के ठिकाने पर सुनील राठी को शरण दिलाई। हालांकि, उस वक्त खुद मुन्ना बजरंगी भी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में फरार था, लेकिन सुनील राठी को शरण दिलाने का काम उसने अपने गुर्गो को फोन पर निर्देश देकर कराया था। सुनील राठी ने वहां आराम से कुछ दिन फरारी काटी।

वक्त ने पलटा मारा और सुनील राठी ने ही नौ जुलाई को पिस्टल से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी। दोनों की निकटता की पुष्टि इससे भी होती है कि बागपत जेल पहुंचते ही मुन्ना बजरंगी ने सबसे पहले सुनील राठी का हाल जाना।

मुन्ना की हत्या में बसपा के पूर्व विधायक पर भी संदेह

पूर्वाचल के डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद कुख्यात सुनील राठी से जुड़े हरेक शख्स पर जांच एजेंसियों की निगाह टिक गई है। मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे बसपा के एक पूर्व विधायक पर भी शक गहरा गया है। पूर्व विधायक से हाल ही में मुन्ना बजरंगी ने 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। इसके बाद यह पूर्व विधायक, सुनील राठी के संपर्क में आ गया था। मुन्ना की हत्या में इस तथ्य को भी जोड़कर देखा जा रहा है। एसटीएफ की जांच में इस लाइन को भी शामिल किया गया है। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या भले ही सुनील राठी ने की हो, लेकिन इसके पीछे जांच एजेंसियां कई लाइनों पर काम कर रही है। अहम तथ्य पश्चिम में मुन्ना का बढ़ता दखल भी माना जा रहा है। हाल में मुन्ना बजरंगी संजीव जीवा के साथ मिलकर अपराध कर रहा था। एसटीएफ सीओ ब्रजेश सिंह ने बताया कि वर्चस्व के लिए ही मुन्ना की हत्या हुई है। एक लाइन मिली है कि मुन्ना ने बागपत के पूर्व बसपा विधायक से दिसंबर में 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी।

पूर्व विधायक का भाई बड़ा बिल्डर है, जिसका मुकदमा बागपत कोतवाली में दर्ज कराया गया था। मुन्ना का पश्चिम में रंगदारी मांगने का सिलसिला शुरू होने से सुनील राठी का वर्चस्व कम होता जा रहा था। दरअसल, मुन्ना संजीव जीवा के साथ मिलकर काम कर रहा था। यहां पहले से ही सुनील और संजीव एक दूसरे की जान के दुश्मन बने हुए थे। उत्तराखंड में जमीन कब्जाने को लेकर दोनों में छत्तीस का आंकड़ा चल रहा था। दोनों की दुश्मनी को देखते हुए पूर्व विधायक भी सुनील के संपर्क में आ गया था। एसटीएफ इस लाइन पर काम कर सबूत जुटाने में लगी है। अभी तक बड़े साक्ष्य एसटीएफ को नहीं मिले हैं।

कहीं होमगार्ड के जरिये जेल में तो नहीं पहुंची पिस्टल

जांच एजेंसियों की पड़ताल में सामने आ रहा है कि जेल के होमगार्ड के जरिये ही पिस्टल और कारतूस अंदर पहुंचे हैं। यह होमगार्ड कौन था। किस दिन पिस्टल और कारतूस जेल में पहुंचे। इन सभी तथ्यों की जानकारी जुटाई जा रही है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button