कर्नाटक: किसके कितने मंत्री बनेंगे? कौन बनेगा डिप्टी CM और स्पीकर? कांग्रेस-JDS में मंथन

बेंगलुरु। कर्नाटक के राजनीतिक नाटक का पटाक्षेप क्या बुधवार को एचडी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ हो जाएगा? शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं. हालांकि ये अभी रहस्य ही बना हुआ है कि कुमारस्वामी के साथ मंत्री के तौर पर और कौन- कौन शपथ लेगा? जेडीएस से कितने मंत्री होंगे और कांग्रेस से कितने?

जेडीएस और कांग्रेस दोनों के ही टॉप नेता चाहते तो हैं शपथ ग्रहण समारोह बिना किसी अड़चन के संपन्न हो लेकिन ये भी सच है कि सरकार में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी पाने के लिए दोनों तरफ से रस्साकशी जारी है. इससे इन अटकलों को बल मिला है कि मंत्रिमंडल में कांग्रेस और जेडीएस दोनों ही अपने ज्यादा से ज्यादा मंत्री देखना चाहते हैं. सोमवार दोपहर तक 20:14  फॉर्मूले की बात सुनी जा रही थी. जिसके तहत 20 मंत्री कांग्रेस के और 14 मंत्री जेडीएस के बनाए जाने थे, लेकिन अभी पक्के तौर पर कुछ सामने नहीं आया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा नहीं चाहते कि किसी को उप मुख्यमंत्री बनाया जाए. देवगौड़ा के मुताबिक ऐसा किया जाता है तो दो पावर सेंटर बनेंगे. हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बारे में अपनी स्थिति साफ नहीं की गई. मंत्रियों की संख्या और अन्य मुद्दों पर कुमारस्वामी और कर्नाटक में कांग्रेस के इंचार्ज महासचिव केसी वेणुगोपाल के बीच जल्दी ही बैठक होगी. मंगलवार शाम को ये बैठक होने की संभावना है.

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को स्पीकर का पद दिया जा सकता है. इसके लिए हलियाल से आठ बार विधायक चुने गए आरवी देशपांडे और श्रीनिवासपुर से 5 बार विधायक चुने गए केआर रमेश कुमार के नाम दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ऐसी किसी बात पर सहमति देने को तैयार नहीं है जिससे उसके खुद के विधायकों के नाराज होने का खतरा हो. ऐसे में हर विधायक को अलग-अलग बुलाकर कांग्रेस की ओर से उसकी राय ली जा रही है जिससे कि वो खुद को अलग थलग महसूस ना करें.

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों की संख्या को लेकर अभी किसी फॉर्मूले पर सहमति नहीं बनी है. इस संदर्भ में कांग्रेस की ओर से आखिरी फैसला राहुल गांधी की ओर से बुधवार को लिया जाएगा कि पार्टी से कौन-कौन मंत्री बनाया जाएगा.

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि कर्नाटक में बनने वाली सरकार में कितनी नुमाइंदगी की जाए. कांग्रेस के राज्य में 78 विधायक चुन कर आए हैं फिर भी पार्टी ने सरकार में जूनियर पार्टनर बनने का फैसला किया है. कांग्रेस के विधायकों को इसके लिए तैयार करना आसान काम नहीं है. कांग्रेस के सामने दूसरी चुनौती अपने सारे विधायकों को एकजुट रखना है. साथ ही दो निर्दलीय विधायक भी हैं जो कांग्रेस-जेडीए को समर्थन दे रहे हैं. उन्हें भी साथ जोड़े रखने की मशक्कत है कि कहीं वे किसी बात पर नाराज ना हो जाएं.

कांग्रेस के सामने तीसरी बड़ी चुनौती पार्टी के बड़े नेताओं जैसे कि एमबी पाटिल, आरवी देशपांडे, डीके शिवकुमार और शमनुर शंकरप्पा को संतुष्ट रखना है. ये सभी उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार हैं. सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जी परमेश्वरा का नाम उपमुख्यमंत्री की दौड़ में आगे चल रहा है. वहीं जेडीए किसी को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के ही पक्ष में नहीं है.

कांग्रेस के लिए ये रस्सी पर चलने जैसी स्थिति है. केसी वेणुगोपाल और पार्टी के वरिष्ठ नेता मंगलवार शाम को जेडीएस नेतृत्व के साथ बैठक करने वाले हैं. इसी बैठक में तमाम मुद्दों पर विचार किया जाएगा. साथ ही सरकार गठन के तौर तरीकों पर किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा.

बीजेपी पहले ही कांग्रेस-JDS गठबंधन को पहले ही ‘सुविधा की शादी’ करार दे चुकी है. बीजेपी के मुताबिक कांग्रेस विधायकों में सत्ता में हिस्सेदारी के लिए बेचैनी है. ऐसे में कांग्रेस फूंक- फूंक कर कदम उठा रही है. उसकी कोशिश यही है कि ऐसा कोई संदेश नहीं जाए जिससे गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले किसी तरह की अप्रिय स्थिति पेश आए.

 

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