कर्नाटक सरकार: राजभवन का रुख तय करेगा कौन होगा अगला मुख्यमंत्री?

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनावों से साफ है कि राज्य में किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा. भारतीय जनता पार्टी राज्य में सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आई है लेकिन सरकार बनाने के लिए उसे कुछ और विधायकों के समर्थन की जरूरत है.

वहीं कांग्रेस के पास दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा विधायक हैं और तीसरे नंबर पर खड़ी जेडीएस के पास मौजूद आंकड़ों से दोनों मिलकर सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में देशभर की नजर अब राजभवन पर टिकी है क्योंकि इस मामले में सरकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का एस आर बोम्मई केस बेहद अहम हो जाता है.

एस आर बोम्मई केस के मुताबिक किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में राज्य का गवर्नर उस दल के नेता को आमंत्रण देता है जिसके पास ज्यादा संख्या है. हालांकि संख्या देखने के लिए दो तरीके हैं. पहला, क्या सरकार बनाने का दावा करने वाला दल सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर चुन कर आया है. दूसरा, यदि दो या दो से अधिक दल नतीजों के बाद बहुमत का आंकड़ा बनाने के लिए गठबंधन करते हुए गवर्नर के सामने समर्थन पेश करते हैं तो ऐसी स्थिति में भी गवर्नर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त आंकड़ा देखते हुए ऐसे गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकता है.

हालांकि, ऐसे गठबंधन में गवर्नर को विवेकाधिकार है कि वह किसी तरह की हॉर्सट्रेडिंग की संभावना को पैदा न होने दे और उपयुक्त दावेदार को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करे. लिहाजा, हॉर्सट्रेडिंग की संभावना के बीच गवर्नर यह भी फैसला कर सकता है कि चुनाव नतीजों में सामने आए सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का मौका दे और उसे कम से कम 10 से 15 दिन का समय देते हुए विधानसभा में बहुमत साबित करने का समय दे.

 

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