कांग्रेस ने रतन टाटा-माधुरी दीक्षित को लिखा पत्र, कहा- BJP के ‘झूठ’ पर विश्वास न करें

मुंबई। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह अपने ‘संपर्क से समर्थन’ अभियान के तहत बुधवार को बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने और उद्योगपति रतन टाटा से मुलाकात की तो अगले दिन गुरुवार को मुंबई कांग्रेस ने इन लोगों से ‘बीजेपी  के झूठ पर विश्वास न करने’ की अपील की. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम ने पत्र लिखकर टाटा और माधुरी से बीजेपी सरकार के सत्य को समझने का आग्रह किया और कहा, “सरकार सभी मोर्चो पर विफल रही है.” उन्होंने पत्र में कहा, “रतन टाटा, मैं आपसे विनती करता हूं कि आप सत्य को समझें और अमित शाह के झूठ पर विश्वास न करें.

 निरूपम ने रतन टाटा को याद दिलाया
मैं आपको एक पुस्तिका भेज रहा हूं, जो आपको स्पष्ट रूप से बताएगा कि बीजेपी बीते चार साल में देश के लोगों की भलाई के लिए कुछ भी नहीं कर पाई. ” निरूपम ने रतन टाटा को यह भी याद दिलाया कि कैसे उन्होंने जीवनभर धर्मनिरपेक्ष ताकतों का समर्थन किया है और दूसरी तरफ बीजेपी  ने स्पष्ट रूप से देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बर्बाद किया है.

निरूपम ने माधुरी को लिखे पत्र में कहा
निरूपम ने माधुरी को लिखे पत्र में कहा, “एक कलाकार के तौर पर, आप समझ सकती हैं कि कैसे रचनात्मक क्षेत्र में लोग एक साथ काम करते हैं और भाजपा के शासन में इस पर भी हमला किया गया. हमें साथ मिलकर इन ताकतों को आगे बढ़ने से रोकना चाहिए. ” उन्होंने दोनों को लिखे पत्र में कहा, “पिछले चार वर्षो में, भाजपा सरकार सभी मोर्चो पर विफल रही है, चाहे वह आर्थिक क्षेत्र हो, सामाजिक सौहार्द की बात हो या अंतर्राष्ट्रीय संबंध, इन्हें अब अपनी विफलताओं को ढकने के लिए नए-नए जुमले गढ़ते हुए एक साल गुजारना है. ”

अमित शाह के ‘नए संपर्कों’ से 2019 में नई दिखेगी बीजेपी
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस हफ्ते से समर्थन के लिए महासंपर्क अभियान शुरुकर बीजेपी के चुनाव अभियान को एक नई दिशा दी है. इस अभियान की सबसे खूबसूरत बात यह है कि सत्ता प्रतिभा को अपने दरबार में नहीं बुला रही है, बल्कि खुद चलकर उनके द्वार तक जा रही है. यह एक ऐसी पहल है जो खांटी देसी है, लोगों के मन को छूने वाली है और उनके अहम को तुष्ट करने वाली है. ऐसे में अपने क्षेत्र के नामी लोग -आवत जात पनहियां टूटीं- वाला उलाहना भी नहीं दे पाएंगे. राजनीति में समर्थन के लिए यही सब चीजें तो चाहिए होती हैं.

2014  लोकसभा में गांगुली ने बीजेपी के टिकट से लड़ने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था
शाह अब तक जिन लोगों से मिले, उनमें अगर बाबा रामदेव को छोड़ दें तो पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कपिल देव, माधुरी दीक्षित और रतन टाटा जैसे लोगों ने खुद को न सिर्फ पिछले चार साल में बल्कि अपने पूरे कैरियर में राजनीति से दूर बनाकर रखा हुआ है.

ये लोग किसी सम्मान समारोह में नेताओं से मिल लें, तो अलग बात है, लेकिन वे किसी के लिए वोट मांगने नहीं गए. शाह जल्द ही भारत रत्न लता मंगेशकर और पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली से भी मिल सकते हैं. उनकी लिस्ट में इस श्रेणी के बहुत से नामी-गिरामी चेहरे शामिल हैं. अगर गांगुली से शाह की मुलाकात होती है तो यह दिलचस्प होगा, क्योंकि 2014  लोकसभा में गांगुली ने बीजेपी के टिकट से लड़ने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. यह पूरा काम प्रत्यक्ष न होकर चैनल्स के माध्यम से हुआ था.

 

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