कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि
18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता है. इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी. जयेंद्र सरस्वती 22 मार्च, 1954 को चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल के उत्तराधिकारी घोषित हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेगें. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी साझा कीं.
प्रधानमंत्री के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी शंकराचार्य के निधन पर दुख जताया है. बीजेपी नेता राम माधव ने ट्विटर पर लिखा कि जयेंद्र सरस्वती सुधारवादी संत थे, उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए.
केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख जताया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है.
2004 में हुई कांचीपुरम मंदिर के मैनेजर की हत्या के मामले में जयेंद्र सरस्वती का नाम आया था. लेकिन 2013 में उन्हें बरी कर दिया गया था. इस मामले में 2004 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, उन्हें करीब 2 महीने न्यायिक हिरासत में रखा गया था.
बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिंदू मठ है. यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं. कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था.
राम मंदिर मुद्दे में निभाया था अहम रोल
पिछली एनडीए सरकार के समय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को अटल बिहारी वाजपेयी का समर्थन हासिल था. इस संबंध में स्वयं जयेंद्र सरस्वती ने साल 2010 में ये दावा किया था कि वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.
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